12 जून 2025 का दिन भारत के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट एक भयानक हादसे का शिकार हो गई थी। इस त्रासदी में 241 लोगों की जान चली गई, लेकिन किस्मत ने एक चमत्कार किया — सीट नंबर 11A पर बैठे विश्वासकुमार रमेश इस हादसे के इकलौते जीवित बचे यात्री थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हादसे के बाद जब सबकुछ मलबे में तब्दील हो गया था, तभी रमेश घायल अवस्था में उस मलबे से दूर पैदल जाते हुए दिखाई दिए। उस पल सभी ने उन्हें “सबसे खुशकिस्मत इंसान” कहा। मगर आज, कई महीने बीत जाने के बाद भी रमेश कहते हैं — “मैं जीवित तो हूं, लेकिन अंदर से टूट चुका हूं।”
भाई को खोने का गहरा घाव
रमेश का छोटा भाई अजय भी उसी फ्लाइट में सवार था, कुछ सीटों के फासले पर। हादसे में उसकी मौत हो गई। रमेश की आंखें नम हो जाती हैं जब वो कहते हैं — “मैं बच गया, लेकिन मेरा भाई नहीं… अजय मेरी रीढ़ की हड्डी जैसा था। उसने हर मुश्किल में मेरा साथ दिया।”
अजय के जाने के बाद रमेश का जीवन जैसे थम गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब वे अधिकतर समय अपने कमरे में अकेले रहते हैं। न पत्नी से बात करते हैं, न बेटे से। “मैं किसी से बात नहीं करना चाहता, बस चुप रहना चाहता हूं,” वो कहते हैं।
मानसिक रूप से टूट चुके हैं
डॉक्टरों के अनुसार, रमेश पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से जूझ रहे हैं। भारत में अस्पताल में इलाज के बाद वे लेसेस्टर स्थित अपने घर लौट आए, लेकिन अब तक उनका कोई ठोस इलाज शुरू नहीं हो पाया है। वो कहते हैं, “मेरे और मेरे परिवार के लिए यह हादसा सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक रूप से भी बहुत भारी पड़ा है। पिछले चार महीनों से मेरी मां हर दिन दरवाजे के बाहर बैठी रहती हैं, किसी से बात नहीं करतीं। मैं पूरी रात जागता रहता हूं, सोचता हूं… ये दर्द हर दिन और बढ़ता है।”
शारीरिक दर्द अब भी साथ है
रमेश के शरीर पर लगी चोटें भी पूरी तरह ठीक नहीं हुई हैं। टांग, कंधा, घुटना और पीठ का दर्द उन्हें चलने-फिरने से रोक देता है। अब वे धीरे-धीरे चलते हैं और पत्नी उन्हें सहारा देती हैं। दीव में भाई के साथ चलाया जाने वाला उनका मछली का कारोबार अब ठप पड़ा है। आर्थिक तंगी ने परिवार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, स्थानीय समुदाय के नेता संजीव पटेल और प्रवक्ता रैड सीगर ने कहा, “रमेश मानसिक, शारीरिक और आर्थिक संकट में हैं। यह हादसा उनके परिवार को पूरी तरह बर्बाद कर गया है। जो भी इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें आगे आकर पीड़ितों से मिलना चाहिए, उनकी ज़रूरतें समझनी चाहिए।”
मुआवजे और जिम्मेदारी पर सवाल
रैड सीगर ने इस पूरे मामले में गहरी नाराज़गी जताते हुए कहा, “यह बेहद शर्मनाक है कि रमेश को इतनी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। जो अधिकारी ज़िम्मेदार हैं, उन्हें आकर बात करनी चाहिए, ताकि इस पीड़ा को कम किया जा सके।” रिपोर्ट्स की मानें तो कंपनी की ओर से बताया गया कि वरिष्ठ अधिकारी लगातार पीड़ित परिवारों से मिल रहे हैं और संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रमेश से संपर्क करने और उनसे मिलने का भी प्रस्ताव दिया गया था। कंपनी ने बताया कि यह प्रस्ताव उनके मीडिया इंटरव्यू देने से पहले ही किया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने मुआवजे के रूप में रमेश को 21,500 पाउंड (करीब 25 लाख रुपये) की राशि दी है, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है। हालांकि उनके सलाहकार इस रकम को “अपर्याप्त” मानते हैं।
अहमदाबाद फ्लाइट क्रैश सिर्फ एक हादसा नहीं था — यह एक ऐसे व्यक्ति की अधूरी कहानी बन गया, जिसने मौत को मात तो दी, लेकिन जिंदगी की लड़ाई अब भी जारी है। रमेश आज भी उस दिन के मलबे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं — सिर्फ शरीर से नहीं, आत्मा से भी।


