यूरोपियन यूनियन इथेनॉल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। अगर यह निर्णय लागू होता है, तो हेल्थकेयर सहित दुनिया के कई सेक्टर पर गंभीर असर पड़ सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूरोपियन केमिकल एजेंसी (ECHA) की एक इंटरनल रिपोर्ट में इथेनॉल में कुछ ऐसे तत्व पाए गए हैं जो जहरीले और खतरनाक माने जा सकते हैं। एजेंसी का मानना है कि इनके संपर्क से कैंसर और गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। इसी आधार पर यूरोप की रिस्क असेसमेंट कमेटी इथेनॉल पर बैन लगाने की संभावना पर विचार कर रही है।
जानकारी के अनुसार, इथेनॉल का सबसे अधिक उपयोग सैनिटाइज़र के निर्माण में होता है। अस्पतालों में सैनिटाइज़र का इस्तेमाल संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इथेनॉल बैक्टीरिया, फंगस और वायरस को तेजी से नष्ट करने में सक्षम होता है, जिससे अस्पतालों में संक्रमण के मामलों में काफी कमी आती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, अस्पताल में इलाज के दौरान हर 10 में से 1 मरीज किसी न किसी संक्रमण का शिकार हो जाता है, और हर साल लगभग 50 लाख लोगों की मौत ऐसे संक्रमणों के कारण होती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इथेनॉल से बने अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र संक्रमण से बचने का सबसे प्रभावी तरीका हैं। अगर इथेनॉल पर प्रतिबंध लगता है, तो संक्रमण से बचाव के लिए अन्य केमिकल्स का उपयोग करना होगा, जो न केवल कम प्रभावी हैं बल्कि त्वचा में जलन जैसी समस्याएं भी पैदा करते हैं। ऐसे में अस्पतालों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इथेनॉल का उपयोग दवाइयां, वैक्सीन, एंटीसेप्टिक, लेबोरेटरी डायग्नोसिस और सफाई से जुड़े प्रोडक्ट्स के निर्माण में भी होता है। इसके अलावा, यह परफ्यूम और कॉस्मेटिक इंडस्ट्री का भी एक अहम घटक है। इसलिए, इसका बैन कई अन्य उद्योगों को भी प्रभावित करेगा।
जानकारी के मुताबिक, इथेनॉल के उपयोग को लेकर वैश्विक स्तर पर मतभेद हैं। जहां विश्व स्वास्थ्य संगठन, अमेरिका, भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश इसे सामान्य उपयोग के लिए सुरक्षित मानते हैं, वहीं यूरोप इसे संभावित खतरे के रूप में देख रहा है। अगर यूरोपियन यूनियन इस पर बैन लगाता है, तो इसके सभी सदस्य देशों में इसका उपयोग बंद हो जाएगा, जिससे अन्य देश भी इसके उपयोग को लेकर सतर्क हो सकते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार और इंडस्ट्री पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
रिपोर्ट्स का कहना है कि विशेषज्ञ इथेनॉल के मेडिकल उपयोग को जारी रखने के पक्ष में हैं, क्योंकि इसके प्रतिबंध से स्वास्थ्य क्षेत्र में कई गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
बता दें कि इथेनॉल (Ethanol) एक शुद्ध और ज्वलनशील एल्कोहल है, जो पारदर्शी तरल रूप में पाया जाता है। इसे गन्ना, मक्का, आलू और गेहूं जैसे स्टार्चयुक्त पदार्थों से तैयार किया जाता है या पेट्रोलियम से मिलने वाली एथीन से भी केमिकली निर्मित किया जा सकता है। इसका उपयोग हैंड सैनिटाइज़र, दवाइयां, परफ्यूम, सफाई उत्पादों और बायोफ्यूल जैसे ईंधनों के निर्माण में व्यापक रूप से किया जाता है।


