इस साल 25 जनवरी को भारत सरकार की तरफ से कुल 132 देशवासियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है। इन पुरस्कारों में 5 हस्तियों को पद्म विभूषण, 17 को पद्म भूषण और 110 नागरिकों को पद्मश्री से नवाज़ा जाएगा। सम्मान पाने वाली कई मशहूर शख्सियतों में एक नाम सुरेंद्र किशोर का भी शामिल है। जिन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया गया है।
कौन हैं सुरेंद्र किशोर ?
मशहूर सीनियर पत्रकार एवं कॉलमनिस्ट सुरेंद्र किशोर, जिन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े लोग चलता फिरता इनसाइक्लोपीडिया भी कहते हैं। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में लगभग 55 वर्षों से ज्यादा अनुभव है। यहां तक कि उन्हें हिंदी पत्रकारिता की पहचान कहा जाता है। अपनी ईमानदारी, गांधीवादी जीवनशैली और प्रामाणिकता के लिए लोकप्रिय सुरेंद्र किशोर को ना केवल राजनीतिक बल्कि आर्थिक, सांस्कृतिक इतिहास एवं सामाजिक का गहरा ज्ञान है।
हालांकि आज के कई युवा पत्रकार सुरेंद्र किशोर के अपार ज्ञान और उनकी ईमानदारी के चर्चों से वाकिफ़ नहीं हैं। बावजूद इसके बिहार में आज भी पत्रकारिता के क्षेत्र में सुरेंद्र किशोर कई युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर सुरेंद्र किशोर जी के बारे में लिखा, “सुरेंद्र किशोर जी को पद्म सम्मान देने की घोषणा हुई है। उन्हें हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं। यह हिंदी पत्रकारिता में विलुप्त होती गौरवशाली परंपरा का सम्मान है। वे अपनी ईमानदारी, गांधीवादी जीवनशैली और प्रामाणिकता के लिए देश के पत्रकारों में सर्वोच्च नैतिक प्रतीक के रूप में पहचान व आदर रखते हैं।”
बिहार के पटना जिले से सटे गांव कोरजी के रहने वाले सुरेंद्र किशोर की सादगी उनके रहन-सहन में साफ झलकती है। बिना किसी दिखावे के गांधीवादी तरीके से, कम से कम संसाधनों के साथ वो बरसों से अपना जीवन जीते आ रहे हैं। वहीं कोरजी के अपने घर में ही उन्होंने अपने संदर्भालय सह पुस्ताकालय को स्थापित किया है। इस पुस्ताकालय की चर्चा आप कई नामी लेखकों-पत्रकारों की ज़ुबानी भी सुन चुके होंगे।
पत्रकारिता में उनके सफर की शुरूआत वर्ष 1969 में हुई थी। तब से लेकर अब तक उन्होंने अपने पेशे को बखूबी निभाया है। उन्होंने इन 55 वर्षों के दौरान ‘प्रतिपक्ष’(नई दिल्ली), लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पत्रिका ‘जनता’, प्रसिद्ध हिंदी दैनिक ‘आज’, प्रसिद्ध पत्रिका ‘धर्मयुग’, ‘माया’, ‘दिनमान’, ‘रविवार’, ‘अवकाश’, ‘श्रीवर्षा’, ‘नई दुनिया’, ‘नवभारत टाइम्स’ आदि में लगातार लिखा है। वहीं 1983-2001 तक वो दैनिक ‘जनसत्ता’ में बतौर बिहार संवाददाता कार्यरत रहे। इसके बाद 2001 से 2007 तक सुरेंद्र किशोर ने दैनिक ‘हिन्दुस्तान’, पटना में संपादक के पद पर काम किया। इसके बाद कुछ सालों तक वो ‘दैनिक भास्कर’ के पटना संस्करण में संपादकीय सलाहकार भी रहे। बात आज की करें, तो सुरेंद्र किशोर अब स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार के रूप में लेखन करते हैं।
वरिष्ठ हिंदी पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल ने सुरेंद्र किशोर के बाके में लिखा, “सुरेंद्र किशोर सिर्फ बिहार नहीं बल्कि देश के विलक्षण पत्रकार हैं। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है और आज भी सीख रहा हूं।“