22 जनवरी को अयोध्या नगरी में भगवान श्रीराम के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। जब किसी मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है तो फिर उसे विग्रह कहते हैं। भारत ही नहीं दुनिया भर के लोगों की नजर इस पावन उत्सव पर टिकी है। श्रीराम के भक्तों के मन में एक जिज्ञासा है कि उनका विग्रह कैसा होगा। मंदिर का निर्माण कैसे हो रहा है और इसकी खासियत क्या होगी। ये सारी जानकारियां हम एक एक कर आपको अपने अलग अलग लेखों में भारतिका पर उपलब्ध कराएँगे। अयोध्या के श्रीराम मंदिर के शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा की जुबानी हम इस मंदिर के बारे में आपको बताएँगे।
चंद्रकांत सोमपुरा ने “भारतिका” से बात करते हुए कहा कि मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के लिए पूरी तरह तैयार है। गर्भगृह में जहां रामलला विराजेंगे वो आसन भी बन कर तैयार है। लगभग पांच फीट की तीन मूर्तियां बनाई गई हैं जिनमें एक श्याम रंग की, दूसरी गहरे काले शालिग्राम पत्थर की और तीसरी सफेद पत्थर की। मंदिर ट्रस्ट से जुड़ें लोगों ने 29 दिसंबर को अपना फैसला ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को सौंप दिया, 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद 31 दिसंबर को कमिटी ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि श्याम रंग के विग्रह में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसकी ऊंचाई 51 इंच है।
गर्भगृह से बाहर निकलते ही सामने गणपति और हनुमानजी की मूर्तियां स्थापित की गई है। मंदिर के सामने गरुड़जी विराजे हैं। प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का आयोजन मंदिर की दूसरी मंजिल पर होगा। यहीं श्रीराम दरबार भी बनाया गया है। यहां भगवान श्रीराम, मां जानकी, लक्ष्मणजी और हनुमानजी अलग अलग स्वरूप में दिखाई देंगे।