गर्मियों में बड़े चाव से खाए जाने वाले आम की कई किस्में आज बाजार में मौजूद हैं। लेकिन अक्सर सर्दियों में लोग इसके स्वाद से वंचित रह जाते हैं। जिसे देखते हुए राजस्थान के कोटा जिले के गिरधरपुरा गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान श्रीकिशन सुमन ने आम की सदाबहार किस्म को विकसित किया। बता दें कि श्रीकिशन सुमन ने केवल 11वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की है। इसके बाद से वो अपने पिता के साथ खेती में उनका हाथ बंटाते आ रहे हैं। श्रीकिशन सुमन के पिता जी पारंपरिक फसलों की खेती करते थे। जिसके चलते शुरूआत में वो भी उन्हीं की राह पर चले, लेकिन जब उन्हें इसमें फायदा नजर नहीं आया। तब उन्होंने फूलों की बागवानी करना शुरू किया। साथ ही आम के पेड़ भी लगाए।
खेती में ये बदलाव उन्होंने वर्ष 2000 में अपनाया। जहां फूलों की बागवानी से घर की स्थिति सुधरने लगी, तो वहीं दूसरी तरफ श्रीकिशन सुमन आम की एक नई किस्म को विकसित करने में जुट गए। उनके आम के बाग में एक देसी किस्म का पेड़ था। जिसमें सालभर बौर आते थे। श्रीकिशन सुमन ने उसी पेड़ से 5 कलमें तैयार कर एक नई किस्म को विकसित किया। हालांकि उन्हें इसे विकसित करने में 15 साल का समय लगा।
बात करें सदाबहार किस्म की विशेषताओं की, तो इस फल का स्वाद खाने में लंगड़ा आम की तरह होता है। ये इतनी बौनी किस्म है कि किसान इसे गमलों में भी उगा सकते हैं। इसे एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना भी काफी आसान है। सदाबहार आम होने के नाते इसमें सालभर में जनवरी से फरवरी, जून से जुलाई और सितंबर से अक्टूबर के दौरान तीन बार फल आते हैं।
श्रीकिशन सुमन ने जब साल 2015 में इस किस्म को विकसित कर लिया। तो बस 2 सालों के अंदर इसमें फल भी आने लगे। श्रीकिशन सुमन बताते हैं कि 2017 से 2020 तक देश-विदेश से उनके पास इस किस्म के पौधों के करीब 8 हजार ऑर्डर भी मिले। जिनमें 6 हजार पौधों की आपूर्ति उन्होंने देश के अंदर ही की। नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) इंडिया से भी इस किस्म को मान्यता मिल चुकी है। आपको बता दें कि राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में भी आम की सदाबहार किस्म लगी हुई है।
खास बात ये है कि किसान श्रीकिशन सुमन अपने बाग में सिर्फ सदाबहार ही नहीं बल्कि कई किस्मों की खेती करते हैं। जिनमें दुनिया का सबसे महंगा कहे जाने वाला मियाजाकी(Miyazaki) आम भी शामिल है। इस किस्म के प्रति किलो आम की कीमत तकरीबन 2.5 लाख से भी ज्यादा है। इस आम की खासियत ये है, कि इसका छिलका लाल होता है। इसके गूदे का रंग चमकीला नारंगी होता है। इस किस्म के महंगे होने के पीछे वजह इनका दुर्लभ माना जाता है।
लेकिन अब हैरान करने वाली बात ये है, कि किशन सुमन ने इसे भारत में कैसे उगाया। दरअसल, उन्हें इस आम के बारे में यू-ट्यूब से जानकारी मिली। जिसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों के जरिए थाईलैंड से तीन पौधों का इंतजाम कराया। 2018 में उन्होंने इन पौधों को लगाया और इसको उगाने में सफलता भी हासिल की। किशन बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस फल की कीमत 21,000 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये प्रति किलो के बीच हो सकती है। वैसे आज के समय में सिर्फ किशन सुमन ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में किसान मियाजाकी आम का उत्पादन कर रहे हैं।