भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश कहा जाता है। यहां हर धर्म-जाति के लोग मिल जुलकर प्रेम के साथ रहते हैं। वहीं मंदिर हो या मस्जिद हर जगह की अपनी अपनी मान्यताएं हैं। लेकिन मुस्लिम समुदाय में महिलाओं के मस्जिद में नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी है। जिसके पीछे कई तरह की मान्यताएं या कारण हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के अमरोहा स्थित शहतपोता में जनानी मस्जिद एक अलग तस्वीर पेश करती है। ये एक ऐसी मस्जिद है जहां पर केवल महिलाएं ही जब चाहें तब नमाज़ पढ़ने जा सकती हैं। लेकिन केवल शिया समुदाय की मुस्लिम महिलाएं ही इस मस्जिद में नमाज़ अदा कर सकती हैं। आपको बता दें कि भारत में हर मस्जिद में महिलाओं के लिए ऐसी अनुमति नहीं है। जिसके चलते ये जनानी मस्जिद नए भारत का उदाहरण है।
कहते हैं कि इस मस्जिद का इतिहास 100 साल से ज्यादा पुराना है। बात करें इसके निर्माण की, तो इस मस्जिद की तामीर गुलाम मेंहदी ने 132 साल पहले 1885 में करवाई थी। शुरूआत में यहां केवल 3-4 महिलाओं के लिए ही जगह हुआ करती थी। लेकिन अब धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ा दिया गया है। जिसे आगे और भी बढ़ाने का विचार है।
कुछ लोगों की मानें तो गुलाम मेंहदी अंग्रेजी हुकूमत के समय फौज में हवलदार हुआ करते थे। उस समय उनकी तीन बेटियां थी। जिनके नाम साबरा खातून, कनिज फातिमा और शायदा फातिमा था। उनकी बेटियां मस्जिद में नमाज़ अदा करने जाना चाहती थी मगर उस दौर के हालातों को देखते हुए ये मुमकिन नहीं था। ऐसे में गुलाम मेंहदी ने अपनी तीनों बेटियों के लिए खुद ही एक खास मस्जिद का निर्माण करवाया। ताकि वो बिना किसी रोक-टोक के इत्मिनान से यहां नमाज़ अदा कर सकें। और तब से लेकर अब तक इस मस्जिद में महिलाओं के नमाज़ पढ़ने की रिवायत चली आ रही है।
हालांकि धीरे-धीरे भारत के कई और मस्जिदों में भी महिलाओं के लिए इस तरह की पहल की जा रही हैं। मगर अधिकतर मस्जिदों में महिलाओं के नमाज़ पढ़ने पर अभी भी पाबंदी है।