1998 में अमेरिकी पत्रकार टॉम ब्रोकॉ ने एक किताब लिखी थी द ग्रेटेस्ट जनरेशन। इसमें उन्होंने उन लोगों का ज़िक्र किया था, जिनका जन्म 1901 से 1927 के बीच हुआ था। उन्होंने इस पीढ़ी को महानतम पीढ़ी कहा। वजह भी साफ थी ये वही लोग थे, जो पहले विश्व युद्ध के बीच जन्मे, दूसरे विश्व युद्ध में शामिल हुए, आर्थिक मंदी से गुज़रे और खतरनाक बीमारियों का सामना किया। इन तमाम संघर्षों की वजह से उन्हें ग्रेटेस्ट जनरेशन कहा गया लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। इसके बाद भी कई पीढ़ियाँ आईं। दरअसल, अब तक कुल सात जनरेशन मानी जाती हैं। इनमें बेबी बूमर, साइलेंट जनरेशन, जनरेशन X, मिलेनियल्स, जनरेशन Z और जनरेशन अल्फा शामिल हैं। इनमें खासकर मिलेनियल्स और Gen Z का नाम सोशल मीडिया पर अक्सर ट्रेंड करता रहता है।
इन पीढ़ियों के नाम सिर्फ लेबल नहीं हैं। ये समाज और समय को समझने का ज़रिया हैं। इनसे अंदाज़ा लगता है कि अलग-अलग दौर में लोग कैसे जीते थे, उनकी सोच और जीवनशैली किस तरह बदलती गई। अब सवाल है कि आखिर ये नाम तय कौन करता है?
‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट बताती है कि जनरेशन के नाम इंटरनेट पर बैठे लोग नहीं गढ़ते। असल में यह काम Sociologists और Demographers करते हैं। वे जनगणना के आंकड़े, जन्म दर, सामाजिक बदलाव, आर्थिक हालात, राजनीति और तकनीकी विकास जैसे कई कारकों का अध्ययन करते हैं। फिर विचार-विमर्श के बाद किसी पीढ़ी का नाम सामने आता है।
तो आइए आज के इस आर्टिकल में विस्तार से जानते है सातों जनरेशन की असली कहानी
- ग्रेटेस्ट जनरेशन (1901-1927)
यह वह पीढ़ी थी जिसने सबसे कठिन दौर देखा। इनके बचपन में पहला विश्व युद्ध था, जवानी में दूसरा। महामंदी और बेरोजगारी की मार झेली, भूख और बीमारियों से गुज़रे। इतनी कठिनाइयों को सहने और आगे बढ़ने के कारण इन्हें “ग्रेटेस्ट” कहा गया। - साइलेंट जनरेशन (1928-1945)
इस नाम का पहली बार ज़िक्र 1951 में ‘द यंगर जनरेशन’ नामक आर्टिकल में हुआ। इस दौर के लोग विश्व युद्ध की तबाही, गरीबी और डिप्रेशन से गुज़रे। इन्हें ‘साइलेंट’ इसलिए कहा गया, क्योंकि इन्होंने ये सब कुछ बिना आवाज़ उठाए सहन किया। इसी समय यूरोप में कला और दर्शन में शून्यवाद (Nihilism) का असर भी दिखा। - बेबी बूमर (1946-1964)
दूसरे विश्व युद्ध के बाद अचानक जन्म दर बढ़ी। 1946 से 1964 के बीच लगभग 7.6 करोड़ बच्चों का जन्म हुआ। इसी वजह से इसे “बेबी बूमर जनरेशन” कहा गया। इस दौर में कई तकनीकी और औद्योगिक बदलाव भी हुए। - जनरेशन X (1965-1980)
इस शब्द का ज़िक्र पहली बार पत्रकार और लेखक डगलस कूपलैंड ने किया। इन्हें आधुनिक समय की शुरुआत मान सकते हैं। इस पीढ़ी ने सबसे पहले टीवी और कंप्यूटर का इस्तेमाल किया। कला, संगीत और सिनेमा की ओर भी खासा झुकाव रहा। - मिलेनियल्स (1981-1996)
इन्हें पहले “जनरेशन Y” कहा गया, लेकिन “मिलेनियल्स” नाम ज्यादा लोकप्रिय हुआ। इसका ज़िक्र सबसे पहले 1991 में विलियम स्ट्रॉस और नील होवे की किताब ‘Generations’ में आया। यह वही पीढ़ी है जिसने ब्लैक एंड व्हाइट टीवी से कलर टीवी और लैंडलाइन से स्मार्टफोन तक का सफर तय किया। - जनरेशन Z (1997-2012)
रैपर MC Lars ने 2005 में अपने गाने में iGeneration शब्द इस्तेमाल किया था। इसके बाद लेखिका जीन ट्वेंग ने इसे और लोकप्रिय बनाया। इसी से “Gen Z” या “ज़ूमर” शब्द फैला। ये पीढ़ी स्मार्टफोन और इंटरनेट के साथ बड़ी हुई। जेंडर इक्वालिटी, मानसिक स्वास्थ्य और वोक कल्चर जैसी बहसों पर खुलकर बात करने वाली पीढ़ी मानी जाती है। - जनरेशन अल्फा (2013-2024)
ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ता मार्क मैक्रिंडल ने 2008 में इस नाम की नींव रखी। 2013 से पैदा होने वाले बच्चों को “अल्फा” कहा गया। इनके माता-पिता अधिकतर मिलेनियल्स हैं, इसलिए इन्हें “मिनी-मिलेनियल्स” भी कहा जाता है। यह पीढ़ी गैजेट्स और इंटरनेट की गहरी पकड़ में पली-बढ़ी है।
इन पीढ़ियों के नाम हमें सिर्फ लोगों को वर्गीकृत करने के लिए नहीं दिए गए। इनके पीछे इतिहास और समाज की बड़ी कहानियाँ छिपी हैं। हर जनरेशन ने अपने दौर की चुनौतियों और बदलावों का सामना किया और उसी के आधार पर उनकी पहचान बनी।