शार्क टैंक सीजन 3 में आए गुड गम के फाउंडर्स मयंक और भुवन ने देश के सामने अपनी कंपनी के प्रोडक्ट को कुछ इस तरह पेश किया, कि ना केवल जज बल्कि टीवी पर शो देखने वाली जनता भी उनकी फैन हो गई। दरअसल, मयंक और भुवन की बेंगलुरु बेस्ड कंपनी गुड गम, प्लास्टिक फ्री और नेचुरल च्यूइंग गम बनाती है। दरअसल, मयंक नागौरी बचपन से ही पर्यावरण प्रेमी रहे हैं। उनके परिवार में भी प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन उनके जीवन में बदलाव तब आया जब उन्हें पहली बार उनकी स्कूल टीचर से च्यूइंग गम में प्लास्टिक होने की बात का पता चला। जिसके बाद उन्होंने ना केवल खुद च्यूइंग गम खाना छोड़ दिया, बल्कि इसका एक इको-फ्रेंडली विकल्प खोजने का विचार तक बना लिया।
आपको बता दें कि आमतौर पर बाजार में मिलने वाली च्यूइंग गम में PVA का कुछ अंश मिला होता है। पीवीए यानी कि polyvinyl acetate, जो कि टायर से लेकर ग्लू बनाने तक में इस्तेमाल की जाती है। जरूरी बात ये है कि पीवीए के एक छोटे से हिस्से को गलने में 100 सालों से भी ज्यादा का समय लग जाता है। लेकिन मयंक और भुवन की गुड गम पीवीए मुक्त है। गुड गम में पीवीए की जगह पर Chicle Tree का इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी वजह से जब कोई शख्स च्यूइंग गम चबाने के बाद फेंकता है तो वो कहीं चिपकती नहीं है। बल्कि आसानी से मिट्टी में मिलकर डिस्पोज हो जाती है। वहीं Chicle Tree के साथ ही इस गुड गम को बनाने में प्राकृतिक तेल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें चीनी की जगह नेचुरल स्वीटनर मिलाते हैं। यानी कि ये बच्चों से लेकर डायबिटीज के मरीजों तक के लिए चबाने लायक च्यूइंग गम है।
हालांकि बात करें कि आखिर शार्क टैंक में इसे क्यों पसंद किया गया। तो आपको बता दें कि शार्क टैंक इंडिया में गुड गम को पसंद करने की वजह केवल इसका 100 प्रतिशत प्लास्टिक फ्री होना नहीं था। बल्कि इसके बॉक्स में दिया गया डिस्पोजेबल पेपर था। जी हां, शार्क टैंक के जज अमन को भुवन और मयंक का ये आइडिया काफी पसंद आया कि उन्होंने च्यूइंग गम के बॉक्स में एक पेपर भी साथ में दिया है, जिससे व्यक्ति च्यूइंग गम खाने के बाद उसे इस पेपर में लपेट कर फेंक सके। अमन के साथ-साथ जज रितेश, अनुपम और विनीता ने भी गुड गम के सामने अपना ऑफऱ रखा। और आखिर में मयंक और भुवन ने 80 लाख रूपये में 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी और 4 प्रतिशत रॉयलिटी पर ये सौदा पक्का किया।