सुभाषचंद्र बोस.. जिनके सिद्धांतों पर चलने वाले भारतवासियों की आज भी कमी नहीं है। आज उनकी 127वीं जयंती के मौके पर पूरा देश पराक्रम दिवस मना रहा है। देश की आजादी में उनके योगदान और साहस के किस्से भी कम नहीं है। लेकिन बात उनके जीवनकाल की करें, तो उनके बारे में आज भी ऐसी कई कहानियां और किस्से हैं। जिनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। जिनमें एक किस्सा ये भी रहा कि उन्होंने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा पास तो की लेकिन कभी ज्वाइन नहीं किया।
आपको बता दें कि देश के वीर सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को बंगाल डिविजन के ओडिशा राज्य के कटक जिले में हुआ था। उनके पिता को उस जमाने के मशहूर वकील के तौर पर जाना जाता था। पिता के प्रभाव के चलते शिक्षा के क्षेत्र में उनकी रूचि बचपन से ही बनी रही। सुभाषचंद्र बोस ने कलकत्ता में दर्शनशास्त्र से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। जिसके बाद आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए वो इंग्लैंड चले गए। महज 24 साल की उम्र में ICS की परीक्षा पास करने वाले सुभाषचंद्र बोस ने अपने लिए नौकरी की जगह आजादी की लड़ाई चुनी। नेताजी बोस कभी भी अंग्रेजों की गुलामी नहीं करना चाहते थे। अपनी इसी सोच के साथ वो अंत तक डटे भी रहे।
अपनी विचारधारा और अटूट विश्वास के दम पर इंग्लैड से भारत वापस लौटते ही नेताजी ने 1921 में चितरंजन दास के साथ जुड़ने का फैसला किया। वो स्वराज पार्टी द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र ‘फॉरवर्ड’ के संपादन का कारभार संभालने लगे। इस दौरान उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी ‘द इंडियन स्ट्रगल’। जिसमें 1920 से 1942 तक आजादी के संघर्ष के बारे में लिखा गया।
कहा जाता है कि 18 अगस्त, 1945 को एक विमान दुर्घटना में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु हो गई थी। हालांकि, घायल या मृत अवस्था में नेताजी की ना तो कोई तस्वीर मिली और ना ही कोई मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुआ। बल्कि इस घटना के बाद भी कई सालों तक उनके जीवित होने की बात सामने आती रही।