उत्तरप्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट सिर्फ उत्तरप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की सबसे चर्चित सीटों में से एक मानी जाती है। यह सीट गांधी परिवार का गढ़ रही है। इस हाई-प्रोफाइल सीट से कांग्रेस लगातार जीत हासिल करती रही है, लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इतिहास रचते हुए कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को करारी हार का सामना करवाया था। भाजपा ने कांग्रेस के अमेठी दुर्ग को भेदने में सफलता हासिल कर नया चुनावी इतिहास रच दिया था। हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने एक बार फिर अमेठी में जीत हासिल कर अपनी वापसी कर ली है।
लेकिन खास बात ये रही कि इस बार अमेठी लोकसभा सीट से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं था। बावजूद इसके भाजपा नेता स्मृति ईरानी को यहां से करारी हार का सामना करना पड़ा। दरअसल, गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले किशोरी लाल शर्मा इस साल अमेठी से स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव में खड़े थे। राहुल गांधी के अमेठी छोड़ने की खबर के बाद सभी को लगने लगा था कि अब अमेठी स्मृति ईरानी का है। मगर चुनाव के परिणामों ने सभी को हैरान करते हुए गांधी परिवार की इस सीट पर वापसी करा दी है।
जहां अपनी इस हार के बाद स्मृति ईरानी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा कि जीवन कुछ ऐसा रहा… मेरे जीवन का एक दशक एक गांव से दूसरे गांव जाते हुए, जिंदगी संवारते हुए, उम्मीदें और आकांक्षाएं जगाते हुए, इनफ्रास्ट्रक्चर पर काम करते हुए, सड़कों, नालियों, खड़ंजा, बाई पास, मेडिकल कॉलेज और बहुत कुछ करते हुए बीता। जो लोग हार और जीत में मेरे साथ खड़े रहे, उनकी हमेशा आभारी रहूंगी। जो आज जश्न मना रहे हैं, बधाई। और वो जो मुझसे पूछ रहे हैं, जोश कैसा है? मैं कहूंगी- यह अभी भी हाई है, सर।
वहीं इस बीच किशोरी लाल शर्मा के नाम की चर्चा जोरों से होने लगी है। और सभी जानने के इच्छुक हैं कि आखिर कौन हैं किशोरी लाल शर्मा जिन्होंने स्मृति ईरानी को मात दे दी। दरअसल, किशोरी लाल शर्मा जिन्हें केएल शर्मा भी कहा जाता है। मूलत: पंजाब के लुधियाना जिले के रहने वाले हैं। शर्मा ने 1983 में राजीव गांधी के साथ रायबरेली और अमेठी में अपना पहला कदम रखा था। जिसके बाद राजीव गांधी के अचानक निधन के कारण गांधी परिवार से उनके रिश्ते पारिवारिक हो गए और वो गांधी परिवार का हिस्सा बन गए।
शर्मा ने कभी शीला कौल के काम को संभाला तो कभी सतीश शर्मा के भी काम आए। ऐसे में शर्मा का अक्सर रायबरेली और अमेठी में आना-जाना बना रहा। हालांकि, जब पहली बार सोनिया गांधी ने सक्रिय राजनीति में अपना कदम रखा तो केएल शर्मा उनके साथ अमेठी आ गए। वहीं जब सोनिया गांधी ने राहुल गांधी के लिए अमेठी की सीट छोड़ दी और खुद रायबरेली आ गईं तो केएल शर्मा ने रायबरेली और अमेठी दोनों ही सीटों की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली।
धीरे-धीरे वक्त बीतता गया और शर्मा रायबरेली और अमेठी दोनों ही क्षेत्र के संसदीय कार्यों की देख-रेख करने लगे। वक्त के साथ लोग कांग्रेस को छोड़ते गए, लेकिन केएल शर्मा की वफादारी में कभी भी कोई कमी नहीं रही। ऐसे में केएल शर्मा को सोनिया गांधी का बेहद करीबी माना जाता है। लेकिन ये एक अकेला फैक्टर नहीं है कि उन्हें अमेठी सीट से जीत हासिल हुई है, इसके अलावा भी कई और कारण हो सकते हैं जिनके चलते अमेठी की जनता ने उन्हें चुना है। वहीं किशोरी लाल शर्मा की जीत पर उन्हें बधाई देते हुए प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा , कि ‘किशोरी भैया, मुझे कभी कोई शक नहीं था, मुझे शुरू से यक़ीन था कि आप जीतोगे। आपको और अमेठी के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों को हार्दिक बधाई !