उत्तर प्रदेश के बहराइच में हुई रामगोपाल मिश्रा की हत्या का मामला हर दिन तूल पकड़ता नजर आ रहा है। हिंदू समुदाय के लोगों में काफी आक्रोश है वहीं हिंसा के मुख्य आरोपी सरफराज और तालीम को पुलिस ने बीते दिन एनकाउंटर कर गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन इस एनकाउंटर के बाद अब यूपी पुलिस पर लगातार सवाल उठने लगे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत अन्य कई विपक्षी नेता इस एनकाउंटर को सरकार की नाकामी करार दे रहे हैं।
हालांकि ये कोई पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश पुलिस ने किसी अपराधी का एनकाउंटर किया हो। इससे पहले भी कई बार यूपी पुलिस द्वारा किए गए एनकाउंटर के चर्चे जोरों पर रहे हैं। खासतौर पर बीते 7 सालों में ये मामले तेजी से बढ़े हैं। यूपी पुलिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 7 सालों में पुलिस और अपराधियों के बीच हुए एनकाउंटर की संख्या करीब 12 हजार से भी ज्यादा है।
जिनमें से 210 से ज्यादा अपराधियों को पुलिस ने मौके पर ही ढ़ेर कर दिया था। जबकि हजारों अपराधी इन मुठभेड़ों में केवल घायल हुए और बाद में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। लेकिन जरूरी बात ये है कि इन 12 हजार मुठभेड़ों में 17 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए हैं।
यूपी पुलिस द्वारा जारी किए गए आंकड़ों की मानें तो जीरो टॉलरेंस नीति के चलते साल 2017 से लेकर 5 सितंबर 2024 तक लगभग 12 हजार से ज्यादा बार एनकाउंटर हुए हैं। इन मुठभेड़ों में करीब 27 हजार से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं इस दौरान घायल हुए अपराधियों की संख्या 1601 है।
इस रिपोर्ट में यूपी डीजीपी प्रशांत कुमार के हवाले से एक बयान जारी कर कहा गया है कि बीते 7 सालों में यूपी पुलिस द्वारा किए गए सभी एनकाउंटर्स में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को ध्यान में रखा गया है। इसलिए यूपी पुलिस के किसी भी एनकाउंटर पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।