भारत में सिगरेट पीने वालों की कोई कमी नहीं है। लाखों लोग हर दिन ना जाने कितनी ही सिगरेट पीकर उनके जले हुए हिस्सों को यूं ही फेंक देते हैं। क्योंकि आम खाने के बाद गुठली का क्या काम है ? भला, इसकी परवाह कौन करता है? बस इसी तरह सिगरेट पीने के बाद उसका बट भी बेकार समझकर लोग फेंक देते हैं। लेकिन इस सिगरेट वेस्ट को बेस्ट में बदलने का काम कर रही है भारत की कोड एफर्ट कंपनी।
दरअसल, नोएडा के रहने वाले नमन गुप्ता, जब दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर रहे थे तभी उन्होंने इस समस्या पर गौर किया और करीब 7 महीनों तक रिसर्च करने के बाद इस समस्या का तोड़ निकाला। दरअसल, नमन ने एक ऐसा सॉल्यूशन तैयार किया, जिससे सिगरेट बट्स को पूरी तरह से रिसायकल कर उसका इस्तेमाल किया जा सकता था। जिसके बाद नमन ने अपने भाई विपुल गुप्ता के साथ मिलकर एक कंपनी की शुरूआत की। जिसे भारत की पहली सिगरेट रिसायकलिंग कंपनी के नाम से भी जाना जाता है।
आपको बता दें कि नमन की कंपनी कोड एफर्ट प्राइवेट लिमिटेड सिगरेट बट्स को रिसायकल कर सॉफ्ट टॉय बनाती है। इतना ही नहीं, सिगरेट बट्स को रिसायकल कर कुशन, तकिए समेत कई डेकोरेटिव आइटम्स भी तैयार किए जाते हैं। सबसे अच्छी बात तो ये है कि कोड एफर्ट कंपनी द्वारा बनाए जा रहे इन सभी प्रोडक्ट्स के दाम भी काफी किफायती हैं। जिसकी वजह इन प्रोडक्ट्स की पहुंच मिडिल क्लास लोगों तक बनाना है।
इसके अलावा नमन ने अपनी कंपनी Code Effort के ज़रिए ज़्यादा से ज़्यादा जागरूकता लाने पर भी जोर दिया है। नमन की कंपनी ना केवल सिगरेट बट्स को रिसायकल करने का काम कर रही है बल्कि वो लोगों के बीच धूम्रपान से होने वाले नुकसान को लेकर जागरूकता फैलाने का काम भी कर रही है। नमन बताते हैं कि अब तक वह 200 करोड़ सिगरेट बट रिसायकल करके 5000 करोड़ लीटर पानी को दूषित होने से बचा चुके हैं। उनकी कंपनी, सिगरेट बट रीसायकल करके उससे कम्पोस्ट, हैंडमेड पेपर, टॉयज और कुशन फिलिंग जैसे कई प्रोडक्ट्स बनाने का काम कर रही है।