उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद जिले के वसुंधरा इलाके में स्थित जनसत्ता सोसाइटी से हाल ही में सामने आए एक मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, हमने आपको भारतिका पर कुछ दिन पहले ही बताया था कि किस तरह जनसत्ता अपार्टमेंट में रहने वाली एक महिला ने अपनी नाबालिग घरेलू सहायिका के साथ मारपीट कर उसे परेशान कर दिया। नाबालिग की मदद के लिए एक एनजीओ “बचपन बचाओ आंदोलन” ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसे रेस्क्यू कराकर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया।
आपको बता दें कि अस्पताल में इलाज के दौरान ये बात सामने आई है कि नाबालिग बच्ची के पेट में इंफेक्शन है, वहीं उसका हीमोग्लोबिन स्तर भी मात्र साढ़े 6 पाया गया है। बच्ची की इस हालात को देखते हुए उसे बीते गुरूवार को ही दो यूनिट तक खून चढ़ाया गया। वहीं बीते गुरुवार को नाबालिग का परीक्षण एक फिजीशियन ने किया, जिन्होंने बच्ची के सभी टेस्ट दोबारा कराने की सलाह दी है। बड़ी बात ये है डॉक्टर्स ने नाबालिग बच्ची के बोन मैरो की जांच कराने की भी सलाह दी है।
रेस्क्यू कराने के बाद नाबालिग ने पुलिस को बताया कि वो पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी की रहने वाली है और यहां पर जनसत्ता अपार्टमेंट में रहने वाली रीना शर्मा के फ्लैट में एक साल से काम कर रही थी। रीना शर्मा उससे दिन में 20 घंटे तक काम कराती थीं और उसे कुत्ते वाले कमरे में रखा जाता था। खाने में बस दो ब्रेड या बचा हुआ बासी खाना खाने को मिलता था। रीना ने नाबालिग से हर महीने इस काम के बदले 4 हजार रूपये उसकी मां को भेजने का वादा किया था. लेकिन उसे नहीं मालूम कि वो पैसे उसकी मां को भेजे जाते थे या नहीं। अगर वो कभी फ्लैट से बाहर चली जाती थी तो भी उसे बुरी तरह से मारा जाता था। इतना ही नहीं, नाबालिग ने बताया कि एक बार उबलते हुए अंड़ों का खौलता पानी रीना ने उसके ऊपर फेंक दिया था।
24 मार्च की रात भी उसे एक कपड़ा खो जाने की बात पर रीना ने मारना शुरू कर दिया, मगर उस रात वो घर से बाहर भागकर सीढ़ियों पर छिप गई, जिसके चलते अपार्टमेंट के बाकी लोगों की मदद से उसे एनजीओ द्वारा रेस्क्यू कराया गया। नाबालिग को मुक्त कराने वाली संस्था के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि बंधुआ मजदूरी की धारा नहीं लगाई गई। डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटील का कहना है कि किशोरी के बयान दर्ज होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।