हमारे देश में अनगिनत प्रथाओं, रिवाजों एवं परंपराओं का चलन है। जिनमें से अधिकतर परंपराओं से आज भी कई लोग वाकिफ़ नहीं हैं। इन्हीं परंपराओं में शामिल है तमिलनाडु के दक्षिणी क्षेत्रों में बरसों से चली आ रही एक परंपरा थलाईकूथल। ये एक तरह की इच्छामृत्यु है। मगर इस प्रथा के तहत बुजुर्ग व्यक्ति को मौत के घाट उतारने का काम उसके बेटे या बेटी द्वारा किया जाता है। एक तरह से अगर देखा जाए तो थलाईकूथल परंपरा कम कूप्रथा ज्यादा है। जिसके कई दुरूपयोग भी देखने और सुनने को मिले हैं।
डेक्कन क्रॉनिकल की पत्रकार प्रमिला कृष्णन द्वारा की गई एक रिसर्च में उन्होंने पाया कि इस प्रथा की आड़ में अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता को केवल उनकी देखभाल ना करनी पड़े इस वजह से मार देते हैं। वहीं कई माता-पिता मजबूरी में इस परंपरा के लिए हामी भरते हैं। क्योंकि कहीं ना कहीं उन्हें भी ये लगता है कि वो अपने बच्चों के लिए बोझ बन रहे हैं। वैसे तो ये प्रथा भारत में अवैध है। बावजूद इसके गुप्त सामाजिक स्वीकृति के कारण लोग इसे आज भी निभाते आ रहे हैं। इस गुप्त प्रथा के बारे में लोगों को पहली बार तब मालूम चला जब साल 2010 में विरूधुनगर जिले में एक 80 वर्षीय बुजुर्ग को प्रथा से पहले उसके घरवालों की नियत के बारे में मालूम चला और इसके बाद वो घर से भाग निकला।
बात करें इस परंपरा की तो राज्य के जिन जिन क्षेत्रों में इस प्रथा का चलन हैं वहां भी हर किसी बुजुर्ग को नहीं मारा जाता। बल्कि केवल वो बुजुर्ग इसके लिए आगे आते हैं जिनकी बीमारी असाध्य है। प्रथा के अनुसार, असाध्य रोग से ग्रसित बुजुर्ग की इच्छा के बाद ही उन्हें मारने के कई तरीके अपनाए जाते हैं। कई बार ये फैसला रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों द्वारा ही किया जाता है।
इनमें पहला तरीका है बुजुर्ग को नारियल के तेल से एकदम सुबह सिर से नहलाकर नारियल पानी पिलाया जाता है। औऱ इसके बाद तुलसी का रस और दूध पिलाया जाता है। जिसके चलते या तो व्यक्ति की किडनी फेल हो जाती है या तेज बुखार के चलते 1 दिन के अंदर ही उसकी मौत हो जाती है।
दूसरे तरीके में जब व्यक्ति बेहद बीमार अवस्था में होता है तो उसके गले में डिश मुरुक्कू को जानबूझकर फंसाया जाता है। ताकि दम घुटने से व्यक्ति की मौत हो जाए। वहीं एक और तरीके के तहत मिट्टी में पानी को मिलाकर इंसान को पिलाया जाता है ताकि अधमरे आदमी का पेट खराब हो जाए और उसकी मौत हो जाए। ऐसा कहा जाता है कि इस प्रथा के तहत करीब 126 तरीकों को बुजुर्ग व्यक्ति को मारने के लिए अपनाया जाता है।