महिलाओं की वीरगाथा और शौर्य के किस्से सुनते समय, सबसे पहले जबान पर रानी लक्ष्मी बाई का नाम होता है। हमारे इतिहास में कई ऐसी वीर नारियों का जिक्र मिलता है जिन्होंने यह सिद्ध किया कि रणबांकुरा बनने के लिए केवल क्षमता की आवश्यकता है। कई वीरांगनाएं ने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें यह स्वतंत्रता दिलाई है। और आज भी ऐसी कई वीरांगनाएं इस स्वतंत्रता के लिए सुरक्षा कार्य कर रही हैं। वे अपने जीवन को भूलकर, वतन की सुरक्षा के लिए साहसी रूप से काम कर रही हैं। ऐसी ही एक महिला है भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल
हरियाणा के अंबाला कैंट के महेश नगर की रहने वाली मिंटी अग्रवाल के पिता वायुसेना में ऑनरेरी फ़्लाइंग ऑफ़िसर के पद से रिटायर्ड हैं। मिंटी जब 7वीं में थी तब उनकी मां का निधन हो गया। पिता को यूनिफ़ॉर्म में देखकर मिन्टी के अंदर देशभक्ति और देश के लिए मर-मिटने की भावना जाग उठी। इसी वजह से उन्होंने भारतीय वायु सेना को जॉइन किया। उनके पिता का मानना है कि अगर मिंटी का बस चलता तो वह दूसरों के मेडल भी अपने कंधे पर लगा लेती।
मिंटी बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफ़ी अच्छी थी। अपनी स्कूली शिक्षा उन्होंने एयर फ़ोर्स स्कूल, अंबाला से पूरी की। साल 2004 में उन्होंने 12वीं पास की और इसके बाद एसडी कॉलेज में बीएससी में एडमिशन लिया।
मिंटी अग्रवाल ने 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक में अहम भूमिका निभाई थी। 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा आतंकी हमले ने पूरे देश को दहला दिया था, जिसमें केंद्रीय रिज़र्व पुलिस फ़ोर्स के 40 जवान आत्मघाती हमले में शहीद हो गए थे। इसके जवाब में, भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को बालाकोट एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया, जिसमें भारतीय वायुसेना के मिराज प्लेन ने बालाकोट के तीन आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्यवाही की थी।
स्क्वाड्रन लीडर अग्रवाल की सूझ-बूझ की वजह से उस दौरान भारतीय वायुसेना को कम से कम नुकसान हुआ। उन्होंने ही भारतीय वायुसेना के इंटरसेप्शन पैकेज को सही गाइडेंस दिया था।
15 अगस्त 2019 को स्क्वाड्रन लीडर अग्रवाल की वीरता और साहस के लिए उन्हें युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था। युद्ध सेवा मेडल पाने वाली वो पहली भारतीय महिला हैं। इसके अलावा उन्हें वायु सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया है। बता दें कि स्क्वाड्रन लीडर अग्रवाल एक इंस्ट्रक्टर हैं, युवाओं को ट्रेनिंग देती हैं, और फ़ाइटर कंट्रोलर भी हैं।