बीते कुछ सालों में देश के लगभग हर राज्य में किसान मशरूम उत्पादन की ओर ध्यान देने लगे हैं। क्योंकि मशरूम का उत्पादन करने के लिए किसानों का ना तो बड़े-बड़े खेतों की आवश्यकता होती है और ना ही इसमें ज्यादा लागत आती है। जिसके चलते छोटे एवं सीमांत किसान भी मशरूम उत्पादन कर लाभ कमा सकते हैं। इसी कड़ी में आज भारतिका पर हम आपको बताएंगे ओडिशा के पुरी जिले के पिपली शहर में रहने वाले प्रगतिशील मशरूम उत्पादक किसान संतोष मिश्रा के बारे में, जिन्होंने आज अपनी मेहनत और जज्बे के दम पर राज्य में सबसे बेहतर मशरूम उत्पादक का खिताब हासिल किया है।
बता दें कि ओडिशा के रहने वाले प्रगतिशील किसान संतोष मिश्रा देश के उन तमाम नौजवानों के लिए मिसाल हैं, जो जीवन में थोड़ी सी परेशानियों के बाद हार मान लेते हैं। दरअसल, संतोष पढ़ाई में अव्वल होने के बाद भी वित्तीय मजबूरी के चलते ज्यादा पढ़ नहीं सके थे। ऐसे में उन्होंने जीवन में नई राह पकड़ी और मशरूम की खेती में अपना हाथ आजमाया। उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव तब आया जब साल 1989 में उन्होंने भुवनेश्वर स्थित, ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लिया। उस समय ना तो उनके पास ज्यादा जमापूंजी थी और ना ही मशरूम की खेती के बारे में ज्यादा जानकारी। हालांकि वो मशरूम उत्पादन में आने वाली परेशानियों और मुश्किलों से जरूर अवगत थे। जिसके चलते उन्होंने इस ट्रेनिंग के दौरान ज्यादा नमी, फंगल की दिक्कत और रोशनी से जुड़ी समस्याओं के बारे में गहनता से जानकारी हासिल की।
इसके बाद घर वापिस लौटकर उन्होंने अपने पिता जी कुछ पैसे उधार लिए और एक शेड में 100 बेड्स के साथ मशरूम उत्पादन की शुरूआत की। अच्छी बात ये रही कि उन्होंने बेहद ही कम समय में 150 किलोग्राम मशरूम इकठ्ठा कर लिया। वहीं आस-पास की कंपनियों में इन मशरूमों की अच्छी खासी बिक्री भी की। पहली ही बार में हुई बेहतर कमाई ने संतोष का मनोबल बढ़ाया तो संतोष ने करीब 60 हजार रूपये का लोन लेकर इसे बड़े पैमाने पर करने का फैसला किया। संतोष मिश्रा ने अब 3000 बेड्स के साथ ऑयस्टर और बटन मशरूम की खेती की। जिससे उन्हें साल 1990 के दशक में हर दिन ढ़ाई हजार से ज्यादा की कमाई होने लगी। उस दौर में इतनी कमाई देखकर हर कोई हैरान था। यही कारण भी रहा कि संतोष मिश्रा को ओडिशा में मशरूम करोड़पति का भी खिताब मिला।
देखते ही देखते वो ओडिशा में सबसे बेहतरीन मशरूम उत्पादक बन गए। आज वो अपना एक प्रसिद्ध मशरूम फार्म चला रहे हैं। जिससे हर साल वो 10 लाख रूपये तक का मुनाफा भी कमाते हैं। अभी तक वो 1 लाख से ज्यादा लोगों को मुफ्त मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग भी दे चुके हैं। इसके अलावा प्रोसेसिंग की ओर ध्यान देते हुए आज के वक्त में किसान संतोष मिश्रा मशरूम से बना अचार, नमकीन समेत कई तरह के उत्पाद तैयार करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण सुविधा को विकसित कर रहे हैं।