हमारे देश भारत में लगभग 6 लाख से भी ज्यादा गांव हैं, जिनमें से कई गांव की अपनी–अपनी विशेषताएं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें एक ऐसा भी गांव है, जो दो देशों का हिस्सा है। और इस गांव के मुखिया की एक यो दो नहीं बल्कि कुल 60 पत्नियां हैं। हम बात कर रहे हैं नागालैंड और म्यांमार की सीमा पर बसे लोंगवा गांव की।
इस गांव की खास बात ही यही है कि इसका एक हिस्सा भारत में है तो दूसरा हिस्सा म्यांमार में पड़ता है। इसीलिए गांव के लोगों को दोहरी नागरिकता मिली हुई है। वहीं इस गांव के मुखिया के घर बेहद दिलचस्प है। उसके घर के बीचों-बीच से होकर भारत–म्यांमार अंतरराष्ट्रीय सीमा गुजरती है। इसीलिए ये लाइन बहुत प्रचलित है कि वे खाते किसी और देश में हैं तो सोते किसी और देश में हैं।
इस गांव के मुखिया को ‘अंघ’ कहा जाता है। असल में वो यहां का वंशानुगत शासक है। और तो और सिर्फ एक गांव ही नहीं बल्कि अरुणाचल प्रदेश और म्यामांर में स्थित करीब 70 गांवों में उसका ही राज चलता है। इस गांव में रहने वाले लोग कोन्याक जनजाति से आते हैं, जिन्हें पूर्व में हेडहंटर जनजाति भी कहा जाता था।
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दरअसल, हेडहंटर कहलाए जाने के पीछे भी एक कहानी है। एक प्रक्रिया के तहत इस जनजाति के लोग एक दूसरे का सिर कलम कर के साथ ले जाते थे और अपने घरों में सजा लेते थे, इसी वजह से इन्हें हैडहंटर नाम मिला। मगर 1960 के वक्त से जब यहां ईसाई धर्म तेजी से फैला तो इस प्रथा को धीरे-धीरे खत्म कर दिया गया।
इस जनजाति के लोग अपने चेहरे और शरीर पर टैटू बनाते हैं जिससे वो आसपास की दूसरी जनजातियों से अलग पहचान रख सकें। टैटू और हेडहंटिंग उनकी मान्यताओं का अहम हिस्सा है। जनजाति के राजा का बेटा म्यांमार आर्मी में भर्ती है। इस गांव की एक और खास बात यह है कि यहां के लोगों को दोनों देशों में आने-जाने के लिए वीजा-पासपोर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ती। ये लोग नागमिस भाषा बोलते है, जो नागा और आसामी भाषा से मिलकर बनी है।