पहलवानों और कुश्ती संघ के बीच की लड़ाई का अंत होता नहीं दिख रहा है। देश की जिन बहादुर बेटियों ने अखाड़ों में दुनिया भर के धुरंधरों के छक्के छुड़ा दिए हों वो अपने ही देश की राजनीति से चित हो जाएं तो सोचना पड़ता है कि आखिर कौन है बलवान ? ये पहलवान या फिर राजनीति। कैमरे के सामने रोती बहादुर बेटियां और अपने मेडल लौटाते पहलवान भले ही राजनीतिक मोहरे का शिकार हुए हों लेकिन उनके चेहरे से छलका दर्द, कुटिल अट्टाहास करते बृजभूषण शरण सिंह पर भारी पड़ा। राष्ट्रीय युवा एवं खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने महज तीन दिन में अपना और पार्टी का स्टैंड साफ करते हुए नए बने कुश्ती संघ को भंग कर दिया। अब भारतीय कुश्ती संघ जिसको बृजभूषण शरण सिंह अपनी बपौती मान बैठे थे, चारों खाने चित है। सरकार का साफ मानना है कि भारतीय कुश्ती संघ के नव निर्वाचित सदस्यों ने निर्णय लेते समय नियमों का उल्लंघन किया है।
सरकार के इस कदम से एक बात तो साफ है कि अब सरकार को भी लगने लगा है कि बृजभूषण सिंह और महिला पहलवानों के मामले में भले ही विपक्ष की राजनीति का असर रहा हो लेकिन बृजभूषण शरण सिंह भी कुश्ती संघ को अपनी व्यक्तिगत जागीर मान बैठे थे और लगातार मनमानियां कर रहे थे। यौन शोषण और अनियमितता के आरोप में दिल्ली पुलिस अपनी चार्जशीट पहले ही फाइल कर चुकी है। पहलवानों के धरने के बाद सरकार ने भरोसा दिलाया था कि कुश्ती संघ के चुनावों से बृजभूषण शरण सिंह को अलग रखा जाएगा। लेकिन ऐसा हो नहीं सका, बाहुबली सांसद के सामने पहलवान बेबस नजर आए और जब बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह ने अनीता श्योराण को हराकर कुश्ती संघ पर कब्जा जमाया तो समर्थकों ने संजय के बजाय बृजभूषण शरण सिंह को फूल माला से लाद दिया। उनके घर पर आतिशबाजी का शोर थम नहीं रहा था और व्यंग्यात्मक हंसी और बयानों के साथ साथ बृजभूषण सिंह मीडिया के कैमरे के सामने नजर आए। जीत का अहंकार बृजभूषण सिंह के चेहरे पर स्पष्ट दिख रहा था। आखिर उन्होंने जीत के लिए पूरी तैयारी जो की थी, वोटर उनके थे, सिस्टम उनका था और जीतने वाला शागिर्द भी। बाहुबली बृजभूषण सिंह कई बार जेल जा चुके हैं। छह बार के सांसद हैं, 50 से ज्यादा स्कूल कॉलेज चलाते हैं और अहंकार में दावा करते हैं कि अपने दबदबे से वो किसी भी पार्टी को चुनाव जिता सकते हैं, बीजेपी ने अगर किनारे करने की कोशिश की तो समाजवादी पार्टी में चले जाएँगे। ऐसी हरकत वो पहले भी कर चुके हैँ। जाहिर है कि बाहुबली खुद को सबसे बड़ा बलवान समझते हैं और सोचते हैं कि उनके सामने इन पहलवानों की क्या ही हैसियत है। ये ओलंपिक में मेडल जीतने वाली लड़कियां बीजेपी के किस काम की है। न उनके पास वोट है और न सपोर्ट, इनके रोने-धोने से क्या ही होगा। लेकिन बृजभूषण सिंह भूल रहे हें कि समय सबसे बड़ा बलवान होता है कोई पहलवान नहीँ। दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ जो चार्जशीट फाइल की है वो बहुत ही खतरनाक है, यौन शोषण के जो आरोप उनपर लड़कियों ने लगाए हैं वो बहुत ही गंभीर हैँ और अब सरकार ने पहले कुश्ती संघ को भंग को कर भारतीय ओलपिंक संघ की देखरेख में कुश्ती के फैसले के लिए कमेटी बनाने का फैसला कर लिया है। इतना ही नहीं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बृजभूषण शरण सिंह को डांट भी पिलाई जिसके तुरंत बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरा कुश्ती से कोई लेना देना नहीं है, अब मैं न तो संघ में हूं और न हीं खेल में दिलचस्पी है। लेकिन अभी बृजभूषण सिंह के सिर से संकट के बादल छंटे नहीं है, कानूनी लड़ाई अभी ठीक से शुरु भी नहीं हुई है और अगर यही रवैया रहा तो निश्चित ही इस बाहुबली बलवान पर पहलवान के आँसू भारी पड़ेंगे।