आज का मुंबई, जहां महंगी-महंगी गाड़ियां एक लंबी कतार में ट्रैफिक जाम लगाती हैं, ये पहले कभी बॉम्बे हुआ करता था। वो बॉम्बे जहां जाम तो लगता था, लेकिन इस जाम का कारण गाड़ियां नहीं बल्कि एक लड़की हुआ करती थी। हिंदी सिनेमा जगत की सबसे मशहूर अभिनेत्री और गायिका सुरैया को उस दौर की सबसे महंगी कलाकार के तौर पर भी जाना जाता था। मल्लिका-ए-हुस्न, मल्लिका-ए-तरन्नुम, मल्लिका-ए-अदाकारी जैसे ना जाने कितने ही तमाम नामों से उन्हें नवाज़ा गया है।
उस समय उनका घर मरीन ड्राइव में था। जिस कद्र आज रोमांस के किंग कहे जाने वाले बॉलीवुड अभिनेता शाहरूख खान के घर मन्नत के बाहर उनके फैंस की भीड़ देखने को मिलती है। उसी तरह उस दौर में सुरैया के घर कृष्ण महल के बाहर उनके चाहने वालों की लाइन लगी रहती थी। वो केवल सुरैया की एक झलक पाने के लिए घंटों इतंजार किया करते थे। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि भीड़ संभालने के लिए पुलिस तक को आना पड़ा। माहौल कुछ ऐसा था कि सुरैया अपने चाहने वालों की बेकाबू होती भीड़ को देखकर बहुत कम ही पब्लिक इवेंट्स का हिस्सा बनती थीं।
दरअसल, सुरैया जमाल शेख़ बचपन से ही काफी टैलेंटेड थीं। उनका जन्म 15 जून 1929 को पाकिस्तान स्थित लाहौर में हुआ था, जो तब अविभाजित भारत का ही हिस्सा था। सुरैया का जन्म हुआ तो उनका परिवार लाहौर छोड़कर बॉम्बे आ गया। बॉम्बे आकर सुरैया के मामा ने एम. ज़हूर की फ़िल्मों में काम करना शुरू किया। धीरे-धीरे उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में पहचान मिलने लगी, इस दौरान सुरैया भी बड़ी होने लगी थीं और वो अपने मामूजान के साथ फिल्म के शूट पर जाने लगीं। इस बीच साल 1941 में जब सुरैया सिर्फ 12 साल की थीं, तब उन्हें नानूभाई वकील की फिल्म ताज महल में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उन्होंने मूमताज महल का किरदार बखूबी निभाया। जिसके चलते उन्हें एक के बाद एक फिल्मों के ऑफर आने लगे।
खास बात ये थी कि सुरैया का हुनर सिर्फ अदाकारी तक ही सीमित नहीं था, वो गायिकी में भी कमाल थीं। उन्होंने एक ओर एक्टिंग करना जारी रखा, वहीं दूसरी ओर ऑल इंडिया रेडियो पर गाना शुरू किया। इसी दौरान एक दिन उनकी रिकॉर्डिंग को उस दौर के मशहूर संगीतकार नौशाद अली ने सुना, तो वो उनकी गायिकी के कायल हो गए। नौशाद अली ने सुरैया को अपनी फिल्म में बतौर प्लेबैक सिंगर गाने का मौका दिया। इस तरह सुरैया के जीवन में एक के बाद एक बड़े बदलाव आते रहे, मगर सबसे बड़ा बदलाव तब आया, जब एक फिल्म ने उन्हें रातोंरात बॉलीवुड जगत की ग्लैमर गर्ल बना दिया।
दरअसल, साल 1942 में सुरैया को लोकप्रिय अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के साथ काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म की शूटिंग के समय सुरैया केवल 14 साल की थीं, वहीं पृथ्वीराज कपूर की उम्र 37 साल थी। दोनों के लिए साथ काम करना आसान नहीं था, क्योंकि परदे पर जहां सुरैया 37 साल के पृथ्वीराज कपूर की हिरोइन का किरदार निभा रहीं थी। वहीं कैमरे के पीछे वो सुरैया को बेटी की तरह मानते थे। 1943 में जब उनकी फिल्म इशारा परदे पर आई, तो लोगों ने इसे खूब पसंद किया और सुरैया को फिल्म स्टार बना दिया।
इसके बाद सुरैया ने कई फिल्मों में काम किया। कई फिल्मों में तो उन्होंने एक्टिंग के साथ-साथ बतौर प्लेबैक सिंगर भी कमाल कर दिखाया। उनकी सुरीली आवाज़ के चलते उन्हें सुर सम्राज्ञी भी कहा जाने लगा।
उनकी कुछ लोकप्रिय फिल्मों में खिलाड़ी, सनम, कमल के फूल, शमा, मिर्ज़ा ग़ालिब, दो सितारे आदि का नाम शामिल है। उनकी फिल्म मिर्ज़ा ग़ालिब में उन्होंने अभिनय के साथ 5 गज़लों को भी अपनी आवाज़ दी थी, जिसकी सराहना तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी की। इतना ही नहीं, मिर्ज़ा ग़ालिब हिंदी सिनेमा की पहली ऐसी फिल्म थी, जिसे प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल मिला था। अपने फिल्मी करियर के दौरान सुरैया ने करीब 67 फिल्मों में बतौर अभिनेत्री काम किया, वहीं लगभग 338 गानों को अपनी आवाज़ दी। हालांकि ग्लैमर गर्ल सुरैया ने साल 2004 में दुनिया को अलविदा कह दिया, मगर उनके गीत आज भी कई लोगों की जुबां पर रहते हैं।