वैसे तो भारत में कई त्योहार धूम-धाम से मनाए जाते हैं। लेकिन दिवाली और होली जैसे त्योहारों की रौनक इनके आने से कई दिनों पहले मालूम चल जाती है। इसी कड़ी में आज भारतिका पर हम आपको बताएंगे भारत के उस मंदिर के बारे में जहां दुनिया का सबसे पहला होलिका दहन मनाया जाता है। होलिका दहन से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में तो हम सभी जानते हैं लेकिन मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर, वो स्थान हैं जहां हर साल होलिका दहन पूरी दुनिया में सबसे पहले मनाया जाता है और इसके बाद पूरे देश में।
आपको बता दें कि होलिका दहन का त्योहार शास्त्रों में भी विशेष महत्व रखता है। इस दिन विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। वहीं इसके ठीक एक दिन बाद होली पर लोग एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर त्योहार मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि उज्जैन स्थित महाकाल के मंदिर में होली पर विशेष तरह की पूजा की जाती है। जिससे लोगों के दुख-कष्ट सब नष्ट होते हैं। बता दें कि यहां शाम की आरती के बाद होलिका दहन किया जाता है। हालांकि इसके लिए किसी प्रकार का शुभ मुहूर्त नहीं देखा जाता, बल्कि सबसे पहले होलिका दहन किया जाता है। लेकिन बात करें कि आखिर ऐसा करने के पीछे कारण क्या है। तो ऐसी मान्यता है कि भगवान महालाक ब्रह्माण के राजा हैं। ऐसे में सबसे पहले होली का त्योहार राजा के दरबार में मनाए जाने की परंपरा है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दिन देश के अलग-अलग कोनों से लोग सिर्फ होली मनाने के लिए महाकालेश्वर मंदिर आते हैं। कहते हैं कि भगवान महाकाल के दरबार में लगा रंग उनके भक्तों के जीवन में खुशहाली लेकर आता है। जाहिर है कि महाकालेश्वर मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक का दर्जा दिया गया है। ऐसे में इस मंदिर को लेकर भक्तों के मन में आस्था काफी ज्यादा है।