छत्तरपुर मंदिर मां दुर्गा के छठे स्वरूप आद्या कात्यायनी का स्थल है। इस मंदिर का वास्तविक नाम श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ है। यह मंदिर दिल्ली के दक्षिण पश्चिम के हिस्से में आता है और यह कुतुब मिनार से केवल 4 किमी की दुरी पर है। नवरात्री के समय माता के दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं। नवरात्री के दिनों में मंदिर को बेहद ही सुन्दर रूप से सजाया जाता है, जो मन को प्रसन्न कर देता है। मंदिर की खासियत यह है कि रोज़ रंग-बिरंगे फूलों से बनी माला दक्षिण भारत से एयरलिफ्ट कराकर मंगवाई जाती है। इस मंदिर की एक खास बात और है कि यह मंदिर ग्रहण के समय भी खुलता है। हालांकि माता का यह बेहद ही खूबसूरत रूप साल में दो बार नवरात्रि और पूर्णिमा को ही देखने को मिलता है। अन्य दिनों यदि कोई भक्तजन माँ के दर्शन के लिए आता है तो वह ऊपर बने भवन में जाता है।
कर्णाटक के संत बाबा नागपाल ने इस मंदिर की स्थापना 1974 में की थी। आज से बहुत साल पहले इस मंदिर स्थल पर एक कुटिया हुआ करती थी लेकिन आज यह मंदिर 70 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। मंदिर बेहद ही सुन्दर और आकर्षक है जो लोगों के मन को काफ़ी लुभाता है। मंदिर के परिसर में कम से कम 20 मंदिर है और खूबसूरत लॉन और बगीचे भी हैं। शिव मंदिर,राम मंदिर, माँ महिषासुरमर्दिनी मंदिर, माँ अष्टभुजी मंदिर, झर्पीर मंदिर, मार्कंडेय मंदिर, बाबा की समाधी, नागेश्वर मंदिर, त्रिशूल, 101 फीट की हनुमान मूर्ति भक्तों को आकर्षित करने का एक मुख्य केंद्र है। मंदिर में माँ दुर्गा अपने छठे स्वरूप माँ कात्यायनी के रौद्र स्वरूप में दिखाई देती हैं।
वर्ष 2005 से पहले इस मंदिर की गिनती दिल्ली के सबसे बड़े और भव्य मंदिरों में की जाती थी, लेकिन अक्षरधाम मंदिर के निर्माण के बाद से यह मंदिर दिल्ली का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। यह मंदिर अपने अद्भुत और आकर्षक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को पूरी तरह से सफ़ेद संगमरमर का प्रयोग करके बनाया गया है।
मंदिर के प्रवेश द्वार एक बड़ा पेड़ है, जिसपर लोग चुनरी, धागा और चूड़ी इत्यादि चढ़ाते है। लोग इस विश्वास के साथ इस पेड़ पर धागे बांधते है की उनकी हर व्यक्त की गई मन्नत पूरी हो जाए। माता कात्यायनी का श्रृंगार रोजाना सुबह 3 बजे शुरू कर दिया जाता है जिसमें इस्तेमाल किए गए वस्त्र, माला,आभूषण कभी दोहराय नहीं जाते है।
इस मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। बताया जाता है कि उस पौराणिक कहानी के अनुसार एक ऋषि ने माँ दुर्गा देवी की कठोर तपस्या की थी। उस ऋषि का नाम कात्यायन ऋषि था। माँ दुर्गा उस ऋषि की कठोर तपस्या को देखते हुए काफ़ी प्रसन्न हुई और उस ऋषि को दर्शन दिए। देवी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे कहा की जो भी तुम वरदान मांगना चाहते हो वो अवश्य मुझसे मांग सकते हो। जिसपर ऋषि ने तब देवी से कहा, मेरी इच्छा है की मुझे आपका पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो। आप मेरे घर पुत्री के रूप में जन्म लें। ऋषि की ये इच्छा सुनकर माँ प्रसन हुई और उन्होंने ऋषि के घर में देवी रूप में जन्म लिया। तभी से उनके इस अवतार को देवी कात्यायनी का अवतार कहां जाता है।
मंदिर के एक कमरे में चांदी के कुर्सी, टेबल, बिस्तर, ड्रेसिंग टेबल इत्यादि है। यदि कोई धार्मिक कार्येक्रम जैसे भजन संध्या, सत्संग इत्यादि किए जाते है तब भी मंदिर के द्वार खोले जाते है। मंदिर के अलावा भी यहाँ पर एक बड़ी ईमारत बनाई गई है जिसमें भण्डारे का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर में लगभग 24 घंटे कुछ ना कुछ धार्मिक कार्येक्रम चलता ही रहता है। नवरात्री, पूर्णिमा, जन्माष्टमी और महाशिवरात्रि को लाखों की संख्या में श्रद्धालु माँ कात्यायनी के दर्शन के लिए आते है जिसकी वजह से यहाँ का नज़ारा काफ़ी अद्भुद होता है।
राजधानी दिल्ली के इस छत्तरपुर मंदिर तक पहुंचने के लिए काफ़ी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस मंदिर से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन है। वहीं सबसे नजदीकी हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा है और नजदीकी मेट्रो स्टेशन छत्तरपुर है।