बिहार में पकड़ौआ विवाह का पुराना इतिहास रहा है। जिसके तहत लड़की के घरवाले किसी नौकरीपेशा या अच्छे घराने के लड़के को अगवा कर जबरन उसकी शादी अपनी बेटी से करा देते थे। और बाद में चाहें लड़के को ये शादी मंजूर हो या ना हो, लेकिन सामाजिक दबाव के चलते उसे ये शादी को निभाना ही पड़ता था। पकड़ौआ विवाह पर एक या दो नहीं बल्कि कई फिल्में, कई नाटक तक बनाए गए हैं। जिनके चलते बिहार का पकड़ौआ विवाह पूरे भारत की नजर में आया।
वैसे तो अब बिहार में पकड़ौआ विवाह की खबरें ना सुनने को मिलती हैं, ना देखने को। हालांकि आपने कभी सोचा है कि एक वक्त पर तेजी से बढ़ रहे बिहार के पकड़ौआ विवाह के चर्चों के बीच ये मामले अब एक दम शांत हो चुके हैं। लेकिन ऐसा क्यों ?
दरअसल, पकड़ौआ विवाह के मामलों की असल शुरूआत 1970 के दशक में हुई थी। बिहार का बेगूसराय जिला पकड़ौआ विवाह का गढ़ माना जाता था। कहा जाता है कि 1970 से 1990 के दशक में लोग अपने लड़कों की नौकरी लगने की बात छिपाया करते थे। यहां तक कि उनकी ज्वानिंग जिस जगह हुई है वो इलाका भी गुप्त रखा जाता था।
शादी योग्य लड़कों का बिहार में घर से अकेले निकलना बंद कर दिया जाता था। क्योंकि सभी को डर होता कि कहीं कोई उनके बेटे को पकड़कर पकड़ौआ विवाह ना करवा दे। आपको बता दें कि लोग अपनी बेटियों का विवाह बिना दहेज के अच्छे घरों के लड़कों से कराने के लिए ये तरकीब अपनाया करते थे। क्योंकि शुरूआती दौर में पकड़ौआ शादियां सामाजिक पहल से ही संपन्न होती थी।
हालांकि बाद में समाज और पुलिस दोनों के लिए पकड़ौआ विवाह जी का जंजाल बन गया। क्योंकि बाद में लड़को को अगवा करने के लिए गिरोह बनने लगे। ये गिरोह इस काम को बतौर पेशा करने लगे थे। लड़की के घरवाले किसी भी गिरोह को पैसा देकर ये काम करवाता, और जिसके चलते खासतौर पर इंटर की परीक्षा के समय ज्यादातर लड़कों का अपहरण कर लिया जाता। लेकिन फिर 1995 के बाद से समय बदला तो ये मामले घटने लगे। सामाजिक दबाव कहें या प्रशासन की सख्ती लेकिन 2010 तक ये मामले लगभग खत्म हो गए।
हालांकि 2017 में जारी की गई एक रिपोर्ट नवंबर तक 3405 पकड़ौआ विवाह होने के मामले सामने आए थे। लेकिन बाद में मालूम चला कि इनमें केवल पकड़ौआ विवाह नहीं बल्कि सभी तरह के प्रेम प्रसंग से लेकर युवक-युवती के अपहरण के मामले भी शामिल थे। कहा जाता है कि अब बिहार में पकड़ौआ विवाह पूरी तरह से खत्म हो चुका है। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है ये केवल स्थानीय लोग ही जानते हैं।