नेपाल के बाद अब Gen-Z प्रोटेस्ट की आग अफ्रीका के पूर्वी छोर तक पहुंच गई है। हिंद महासागर में बसे द्वीपीय देश मेडागास्कर में बीते तीन हफ्तों से सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन जारी हैं। सोमवार, 13 अक्टूबर को हालात इतने बिगड़ गए कि राष्ट्रपति एंड्री राजोइलिना को देश छोड़कर भागना पड़ा। फिलहाल उनका ठिकाना अज्ञात है। राजधानी एंटानानारिवो के मुख्य चौक पर सोमवार को हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी जुटे। भीड़ ‘राष्ट्रपति को पद छोड़ना होगा’ के नारे लगा रही थी। इसके बाद रॉयटर्स ने विपक्षी नेता सितेनी रैंड्रियानासोलोनियाको के हवाले से पुष्टि की कि राजोइलिना रविवार रात ही देश छोड़ चुके हैं।
इससे पहले, सोमवार देर रात राष्ट्रपति राजोइलिना ने फेसबुक के माध्यम से देश को संबोधित किया था। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर जाना पड़ा, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वे कहाँ हैं। उन्होंने इस्तीफा देने से साफ इनकार किया और कहा कि “मैं मेडागास्कर को बर्बाद नहीं होने दूंगा।”
आखिर क्यों भड़का आंदोलन?
रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शन की शुरुआत 25 सितंबर को बिजली और पानी की कमी को लेकर हुई थी। लेकिन जल्द ही यह आंदोलन भ्रष्टाचार और कुप्रशासन के खिलाफ विद्रोह में बदल गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे बुनियादी सुविधाओं के लिए भी जूझ रहे हैं, जबकि नेता अपनी संपत्ति बढ़ाने में लगे हैं स्थिति तब और गंभीर हो गई जब सेना की विशेष इकाई CAPSAT ने भी सरकार के खिलाफ बगावत कर दी। इस यूनिट ने खुलकर प्रदर्शनकारियों का साथ देने का ऐलान किया। दिलचस्प बात यह है कि साल 2009 में इसी CAPSAT यूनिट ने तख्तापलट के दौरान राजोइलिना को सत्ता में लाने में मदद की थी। अब वही यूनिट उनके खिलाफ खड़ी है। CAPSAT ने खुद को सेना का कार्यभार संभालने वाला घोषित किया है और नए सेना प्रमुख की नियुक्ति तक कर दी है।
राष्ट्रपति राजोइलिना ने चेतावनी दी थी कि CAPSAT सत्ता हथियाने की कोशिश कर रही है।
प्रदर्शनकारियों का आरोप— ‘16 सालों में कुछ नहीं बदला’
एक प्रदर्शनकारी ने रॉयटर्स को बताया कि पिछले 16 वर्षों में सरकार ने जनता के लिए कुछ नहीं किया, बल्कि खुद को ही अमीर बनाया। उसने कहा कि युवा पीढ़ी यानी जेनरेशन ज़ेड सबसे ज़्यादा प्रभावित है। उसके मुताबिक, 3 लाख एरियरी (करीब 5,940 रुपये) की मासिक सैलरी से मुश्किल से खाने का खर्च निकलता है।
मेडागास्कर में हो रहा यह विद्रोह नेपाल के हालिया आंदोलन की याद दिलाता है। वहां भी देशव्यापी विरोध के बाद प्रधानमंत्री समेत पूरा मंत्रिमंडल हट गया था और जनता की मांग पर नई सरकार का गठन हुआ था।


