बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के राजनीतिक माहौल में इस बार एक नई पार्टी ने एंट्री ली है — प्रशांत किशोर की अगुवाई में बनी जन सुराज पार्टी। लंबे समय से ये सवाल चर्चा में था कि क्या प्रशांत किशोर खुद भी चुनावी मैदान में उतरेंगे? अगर उतरेंगे तो किस सीट से? और किसके खिलाफ? अब इन सभी अटकलों पर खुद प्रशांत किशोर ने विराम लगा दिया है। उन्होंने साफ़ कहा है कि वो 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
क्यों नहीं लड़ रहे प्रशांत किशोर चुनाव?
मीडिया से बातचीत में प्रशांत किशोर ने बताया कि पार्टी ने निर्णय लिया है कि उन्हें वही काम करना चाहिए, जो फिलहाल उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मेरे पास पहले से जो जिम्मेदारी है, अगर मैं उसे अच्छे से निभा लूं, तो वही काफी है। अगर मैं खुद चुनाव लड़ने जाऊं, तो 4-5 दिन के भीतर जन सुराज के बाकी उम्मीदवारों को नुकसान हो सकता है।
बीते कुछ महीनों से ऐसी चर्चा थी कि प्रशांत किशोर तेजस्वी यादव के क्षेत्र राघोपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंचों पर भी कहा था कि अगर वो चुनाव लड़ेंगे तो राघोपुर से ही उतरेंगे। हालांकि अब पार्टी ने राघोपुर सीट से चंचल सिंह को उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद यह अटकलें तेज हुईं कि प्रशांत किशोर किसी और सीट से मैदान में उतर सकते हैं — लेकिन अब उन्होंने इन सभी कयासों पर रोक लगा दी है।
चुनाव न लड़ने के बावजूद प्रशांत किशोर जन सुराज के सबसे प्रमुख चेहरे बने रहेंगे। हाल ही में उन्होंने राघोपुर में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था, जहां उन्होंने तेजस्वी यादव और वहां की स्थिति पर तीखा प्रहार किया। प्रशांत किशोर ने कहा कि “राघोपुर से जो लोग वर्षों से जीतते आए हैं, वे और उनके बच्चे बिहार के शासक बन गए। लेकिन राघोपुर के आम लोग आज भी बाढ़, कटाव, जलभराव और स्कूल-कॉलेजों की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। अगर इतने सालों से ये हालात नहीं बदले और फिर भी लोग उन्हीं नेताओं को वोट देते हैं, तो उन्हें अपने कष्टों के लिए तैयार रहना चाहिए।”
भले ही प्रशांत किशोर चुनावी मैदान में न उतरें, लेकिन बिहार के इस चुनाव में उनका प्रभाव और रणनीति दोनों ही निर्णायक रहेंगे। जन सुराज के अभियान और विचारधारा के केंद्र में वही हैं — और ऐसा लगता है कि इस बार बिहार की सियासत में पीके की भूमिका एक किंगमेकर की हो सकती है।


