आपको कांग्रेस नेता राहुल गाँधी की वोट अधिकार यात्रा तो याद ही होगी, बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन (SIR) के मुद्दे पर राहुल गाँधी ने 20 जिलों में 1300 किलोमीटर की यात्रा निकाली थी. लेकिन अब इस यात्रा में एक और नया मोड़ आया है. एक तरफ जहां तमाम पार्टियां अपनी-अपनी यात्राओं के जरिए जनता से जुड़ने की कोशिश कर रही हैं तो वहीं तेजस्वी यादव ने भी अपनी खुद की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ का ऐलान कर दिया है. अब राष्ट्रीय जनता दल ( RJD ) के नेता तेजस्वी यादव मंगलवार से ‘ बिहार अधिकार यात्रा ’ निकालने जा रहे हैं.
ऐसे में तेजस्वी यादव ने खुद को सवालो से घेर लिया है. क्या बिहार आरजेडी के सीएम फेस और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कांग्रेस के गेम प्लान में फंस गए हैं? क्या तेजस्वी को महागठबंधन में खुद के हाशिये पर जाने का डर सता रहा है? क्यूंकि कुछ दिन पहले ही तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’का समापन हुआ था. ऐसे में तेजस्वी यादव को अब अकेले यात्रा करने की नौबत क्यों आई? इस यात्रा के पीछे की क्या है इनासाइड स्टोरी? क्या वोटर अधिकार यात्रा से राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस में जान फूंक दी है, जिससे आरजेडी को सीट शेयरिंग में फंसने का डर है? या फिर तेजस्वी यादव अकेले यात्रा कर राहुल गांधी को सख्त मैसेज देने वाले हैं?
बिहार में चुनावी माहौल तेज़ हो गया है. सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही जनता के बीच जाकर चुनाव का माहौल बना रहे है. चुनाव से पहले नीतियों का ऐलान कर रहे है. ऐसे में विपक्ष भी इंडिया गठबंधन चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मतदाता अधिकार यात्रा निकाली थी और अब आरजेडी नेता तेजस्वी यादव बिहार अधिकार यात्रा शुरू कर रहे हैं। आपको बता दे कि पांच दिन चलने वाली यह यात्रा कुल 10 जिलों से गुजरेगी। जिसमे तेजस्वी यादव जहानाबाद से नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल और समस्तीपुर होते हुए वैशाली पहुंचेंगे जहां इस यात्रा का समापन होगा। तेजस्वी यात्रा इस दौरान कई जनसभाओं को भी संबोधित करेंगे।
क्यों निकालनी पड़ रही है तेजस्वी यादव को यह यात्रा?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राहुल गांधी ने अपनी वोटर अधिकार यात्रा से बिहार कांग्रेस में एक नई जान फूँक दी है. राहुल गांधी के साथ यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव को भी प्रमुखता मिली, लेकिन कांग्रेस के बड़े नेताओं ने जनता का ध्यान अपनी तरफ खींचा लिया। ऐसे में राहुल की यात्रा का सियासी लाभ आरजेडी को कम तथा कांग्रेस को ज़्यादा मिला है
आपको बता दे कि इस यात्रा से कांग्रेस के हौसले बेहद बुलंद हुए हैं. जिससे कांग्रेस सीट शेयरिंग से लेकर मुख्यमंत्री चेहरे के सवाल पर अपनी मर्ज़ी की बात रख रही है. कांग्रेस यह बताने में जुट गई है कि वो आरजेडी के बैसाखी के सहारे नहीं, बल्कि अपने खुद के जनाधार और राजनीतिक कद से जीत हासिल करेगी। राहुल गांधी ने अपने भाषणों से जनता को यह संदेश दिया कि कांग्रेस बिहार के मुद्दों को लेकर बेहद गंभीर है.
और वही अब तेजस्वी यादव भी अकेले यात्रा निकालकर आरजेडी नेताओं और कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने की रणनीति अपना रहे हैं. यही वजह है कि आरजेडी की तरफ से तेजस्वी के यात्रा का संदेश सिर्फ पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को भेजा गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव अपनी खुद की यात्रा से यह साबित करना चाहते हैं कि वह महागठबंधन के निर्विवाद नेता हैं और मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में जनता की पहली पसंद हैं।
– ईशा गर्ग