RSS प्रमुख मोहन भागवत के ‘हर मस्जिद में मंदिर खोजने की आवश्यकता नहीं’ वाले बयान पर हिंदू संगठनों की तीखी प्रतिक्रियाएं जारी हैं। इस मुद्दे पर अब विश्व हिंदू परिषद के नेता सुरेंद्र जैन का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत में लाखों मंदिरों को ध्वस्त कर उनके स्थान पर मस्जिदें बनाई।
सुरेंद्र जैन ने मीडिया से बातचीत में कहा, “1984 में भारतीय संतों ने मुस्लिम समाज को एक बेहद अच्छा प्रस्ताव दिया था कि वे हमें सिर्फ तीन स्थान – अयोध्या, मथुरा और काशी – दे दें, और हम बाकी मुद्दों को भुला देंगे। आज की परिस्थिति के लिए मुस्लिम नेतृत्व जिम्मेदार है। अयोध्या हमने संघर्ष करके हासिल किया है। अगर उस समय मुस्लिम समाज आगे आता, तो ये तीनों स्थान हमें मिल गए होते और ये विवाद कभी पैदा ही नहीं होता। अब दो स्थान बचे हैं। मुझे लगता है कि अगर वे ये दो स्थान दे देते हैं, तो हम समाज के जागरूक वर्ग को भी समझा सकेंगे कि हर जगह ऐसा करना संभव नहीं है।”
मोहन भागवत के बयान पर उन्होंने कहा, “भागवत जी ने जो कहा है, वह सही ही कहा है, लेकिन यह सभी के लिए है। अगर कोई मामला कोर्ट में चल रहा है, तो उसे अदालत के फैसले पर छोड़ देना चाहिए। धमकियां देने, सड़कों पर उतरने और ‘सर तन से जुदा’ जैसे नारे लगाने का यह कौन सा तरीका है? न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए।”
संतों द्वारा मोहन भागवत के बयान का विरोध किए जाने पर सुरेंद्र जैन ने कहा, “उन्होंने अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं। उनके बयान से स्पष्ट है कि हिंदू समाज रुकने वाला नहीं है। इसलिए, मुस्लिम समाज के पास अभी भी यह अवसर है कि वह मथुरा और काशी को सौंप दे। हिंदू समाज सद्भाव और सौहार्द के लिए एक बार रुक सकता है।”
मंदिरों के नियंत्रण को लेकर सरकार के रुख पर जैन ने कहा, “भारत में कोई भी मस्जिद या चर्च सरकार के नियंत्रण में नहीं है। जब मुस्लिम और ईसाई जैसे अल्पसंख्यक अपने धर्मस्थलों का संचालन कर सकते हैं, तो हिंदू क्यों नहीं? अकेले तमिलनाडु में 400 से अधिक मंदिर सरकार द्वारा अधिग्रहित किए जा चुके हैं। यह संविधान का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने भी तीन बार यह फैसला दिया है कि मंदिरों की संपत्तियों के संचालन में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
मंदिरों की संपत्ति का दुरुपयोग होता है, और उन पैसों का इस्तेमाल ऐसे कार्यों में किया जाता है, जिसके लिए भक्तों ने दान नहीं दिया होता। इसके कई उदाहरण मौजूद हैं। विश्व हिंदू परिषद जल्द ही पूरे देश में मंदिरों की मुक्ति के लिए एक राष्ट्रीय अभियान शुरू करने वाला है।”