देश के कई राज्य इन दिनों गर्मी से परेशान हैं। वहीं इस चिलचिलाती गर्मी के बीच एक शब्द काफी सुनने को मिल रहा है। नौतपा.. तपने वाले 9 दिन या फिर 9 दिनों तक भयानक गर्मी ? आखिर इस शब्द का मतलब क्या है और क्या वैज्ञानिक नौतपा को मानते हैं ?
दरअसल, वैज्ञानिकों की मानें तो नौतपा को एक ट्रडिशनल नॉलेज का शब्द कहा जा सकता है, जो बिल्कुल सर्दियों के समय कश्मीर में इस्तेमाल होने वाले चिल्लई कलां शब्द की तरह हैं। जैसे नौतपा में 9 दिन उत्तर भारत में चिलचिलाती गर्मी पड़ती है वैसे ही कश्मीर में चिल्लई कलां के दौरान 40 दिन भयानक सर्दी बनी रहती है। हालांकि इन शब्दों को साइंस नहीं मानता है, क्योंकि इन शब्दों की कोई साइंटिफिक परिभाषा नहीं है। मगर इन्हें साथ लेकर चलने में कोई बुराई भी नज़र नहीं आती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, नौतपा आमतौर पर मई के तीसरे हफ्ते से जून के पहले हफ्ते तक करीब 15 दिनों तक रहता है। इस दौरान देश में भयानक हीटवेव चलती हैं। जिसे हॉट वेदर सीजन कहा जाता है। इस साल नौतपा की शुरूआत 25 मई से हो चुकी है जो कि 2 जून तक चलेगा। इस दौरान जहां कई इलाकों में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच रहा है तो वहीं कई इलाकों में झुलसा देने वाली लू चल रही है।
लेकिन एक सवाल यहां ये भी है कि अगर ये नौतपा 9 दिन की बजाय 15 दिन तक रह जाए या महीने भर तक चलती रहे तो क्या तब भी इसे नौतपा ही कहेंगे ? वहीं कृषि के हिसाब से देखा जाए तो, गर्मी के ये 9 दिन यानी नौतपा काफी मायने रखते हैं। आज भी ग्रामीण इलाकों में किसान नौतपा से ही बारिश और फसलों के उत्पादन का अनुमान लगाते हैं। क्योंकि गांव में आज भी पुरानी कहावतों और मान्यताओं पर विश्वास किया जाता है। बात कहावत की करें, तो लोक संस्कृतिविद् दीपसिंह भाटी की एक बहुत लोकप्रिय कहावत है- “दो मूसा दो कातरा, दो तोड़ी, दो ताय दो की बादी जल हरे,दो विश्वर दो वाय”।
जिसका मतलब है कि नौतपा के पहले दो दिन लू नहीं चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे। अगले दो दिन नहीं चली तो कातरा यानी कि फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों की संख्या बहुत बढ़ जाएगी। तीसरे दिन से दो दिन लू नहीं चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे। इसी तरह अगर चौथे दिन से दो दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे। इसके बाद दो दिन लू नहीं चलने पर विश्वर यानि सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे और आखिरी दो दिन मौसम नहीं तपा तो आंधियां अधिक चलेंगी जो फसलें चौपट कर देंगी। कुल मिलाकल ये कहावत नौतपा के महत्व को समझाती है। इसलिए नौपता में गर्मी पड़ना भी जरूरी है।