कतर की जेल में मौत की सजा पाए 8 भारतीय पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया गया है। इनमें से 7 नौसैनिक भारत वापस लौट आए हैं। विदेश मंत्रालय ने अपने एक आधिकारिक बयान में बताया कि रिहा किए गए सात भारतीयों में नवतेज सिंह गिल, सौरभ वशिष्ठ, पूर्णेंदु तिवारी, बीरेंद्र कुमार वर्मा, सुगुनाकर पकाला, संजीव गुप्ता, अमित नागपाल और नाविक रागेश है। ये भी एक निजी कंपनी ‘अल दहरा ‘कंपनी के लिए काम कर रहे थे। कतर के इस ऐतिहासिक फैसले को भारत सरकार की एक बड़ी कूटनीतिक सफलता की तरह देखा जा रहा है। बता दें कि पिछले साल 1 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर तमीम बिन हमद के बीच दुबई में हुई बैठक ने इन पूर्व नौसैनिकों की रिहाई की नींव रख दी थी। इन 8 पूर्व नौसैनिकों में से 7 सोमवार को भारत लौट आए। घर लौटे नौसैनिकों ने कहा कि कतर के साथ मुद्दे पर पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बिना यह मुमकिन नहीं था।
विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा “भारत सरकार, कतर में हिरासत में लिए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले 8 भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है। उनमें से आठ में से सात भारत लौट आए हैं। हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी के लिए कतर राज्य के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं।”
क्या था मामला?
भारतीय कर्मचारी इटली में बनी छोटी स्टील्थ पनडुब्बियों U2I2 के कतरी नौसेना में इंडक्शन की प्रक्रिया पर काम कर रहे थे। U2I2 पनडु्ब्बी को इटली की कंपनी फिनकैंटिएरी ने विकसित और निर्मित किया है। यह पनडुब्बी पारंपरिक पनडुब्बियों के मुकाबले काफी छोटी और स्टील्थ तकनीक से लैस है। रिपोर्ट के अनुसार, नौसैनिकों पर जासूसी के आरोप थे।
कतर की एक अदालत ने 26 अक्टूबर, 2023 को उन्हें मौत की सजा सुनाई। भारत ने कहा था कि उन्हें इस फैसले से “गहरा झटका” लगा है और भारत सरकार वह सभी कानूनी विकल्प तलाश रही है जो संभव हो। हालांकि, भारत के राजनयिक हस्तक्षेप के बाद दिसंबर में मौत की सजा को हटा दिया गया।
घटना की टाइमलाइन पर एक नजर:
(2022)
30 अगस्त : आठ भारतीयों को अज्ञात कारणों से गिरफ्तार किया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन्हें कतर की खुफिया एजेंसी ने जासूसी के मामले में गिरफ्तार किया था।
सितंबर : 8 पूर्व नौसैनिकों की पहली जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया।
1 अक्टूबर: दोहा में भारतीय राजदूत और मिशन के उप प्रमुख ने नौसेना के पूर्व दिग्गज अफसरों से मुलाकात की।
(2023)
मार्च: 25 मार्च को कतर की अदालत में आठ लोगों के खिलाफ आरोप दायर किये गए। और 29 मार्च को कतरी कानून का पालन करते हुए मुकदमा शुरू हुआ।
मई: 30 मई से अल–दाहरा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और इसके पूर्व कर्मचारी, जो ज्यादातर भारतीय थे, घर लौट आए।
अक्टूबर: 26 अक्टूबर कतर की एक अदालत ने सभी आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाई। भारत में इस फैसले को चौंकाने वाला बताया और मामले में सभी कानूनी विकल्प तलाशने की बात कही।
9 नवंबर: भारत ने बताया कि उसने आठ पूर्व नौसेना कर्मियों को मौत की सजा पर कतर में अपील दायर की है।
23 नवंबर: कतर अदालत की ओर से मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ भारत की अपील स्वीकार कर ली गई।
28 दिसंबर: कतर की अपीलीय अदालत ने आठ पूर्व नौसेना कर्मियों के मृत्युदंड को कम कर दिया।
12 फरवरी: भारत ने ऐलान किया कि भारतीय नौसेना के आठ नौसैनिकों को रिहा कर दिया गया है। सात भारतीय स्वदेश लौट आए हैं। भारत ने क़तर के अमीर का शुक्रिया अदा किया।