आज, हमारे समाज में नारी केवल घर की देखभाल में ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। यही वजह है कि आज की नारी न केवल अपने परिवार की संजीवनी हैं, बल्कि समाज की भी रूपरेखा को सुधारने का साहस रखती हैं। आज के इस आर्टिकल में हम एक ऐसी ही नारी की बात करने जा रहे है, जिन्होंने अपनी सालों की मेहनत और कठिन परिश्रम से भारत को विश्व स्तर पर एक और उपलब्धि दिलाने में अपना योगदान दिया है। हम बात कर रहे है, इसरो की महिला साइंटिस्ट निगार शाजी की।
इसरो ने अंतरिक्ष में एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। देश की पहली सोलर ऑबजर्वेटरी आदित्य-एल1 लैंगरेज प्वाइंट 1 पर स्थापित हो चुकी है। भारत के आदित्य-एल1 ने सूर्य के दरवाजे पर दस्तक दे दी है। धरती से करीब 15 लाख किमी दूर लैंगरेंज प्वाइंट 1 पर आदित्य एल1 को स्थापित करने के पीछे इसी किसान की बेटी का सबसे बड़ा योगदान है। इसरो के इस जटिल मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर निगार शाजी ही है। अपनी टीम के साथ करीब 8 सालों की मेहनत के बाद निगार इस मिशन को सफल बनाने में कामयाब रही।
शाजी का जन्म तमिलनाडु के तेनकासी जिले के सेनगोट्टई में एक मुस्लिम तमिल परिवार में हुआ। शाजी की प्रारंभिक शिक्षा अपने ही जिले में हुई। उन्होंने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय के तहत तिरुनेलवेली के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होंने यहां से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मिसरा से इलेक्ट्रॉनिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
1987 में की ISRO के साथ शुरुआत
निगार शाजी ने 1987 में विशिष्ट अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को जॉइन किया था। उन्होंने इसरो में अपना कार्यकाल श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष बंदरगाह पर काम के साथ शुरू किया था। बाद में उन्हें बेंगलुरु के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर में ट्रांसफर कर दिया गया, जो उपग्रहों के विकास के लिए प्रमुख केंद्र है। सोलर मिशन से पहले निगार शाजी रिसोर्सेट 2ए की सहयोगी प्रोजेक्ट डायरेक्टर थी। यह प्रोजेक्ट अभी भी चल रहा है। निगार शाजी सभी निचली कक्षा और ग्रहीय मिशनों के लिए प्रोग्राम डायरेक्टर भी है।
पढ़े–लिखे किसान की बेटी शाजी
शाजी के पिता शेख मीरान भी गणित में ग्रेजुएट थे। हालांकि, उन्होंने अपनी पसंद से खेती की ओर रुख किया। निगार के पिता ने उन्हें हमेशा जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित किया। निगार बताती है की, मेरे माता-पिता दोनों ने मेरे पूरे बचपन में बहुत सपोर्ट किया। उनके निरंतर सहयोग की वजह से, मैं इतनी ऊंचाइयों तक पहुंची।
2016 में शुरू किया सोलर मिशन पर काम
शाजी और उनकी टीम ने 2016 में आदित्य एल1 सोलर प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। हालांकि साल 2020 में कोविड महामारी के चलते इसरो के सारे प्रोजेक्ट्स रुक गए। लेकिन इस प्रोजेक्ट का काम कभी नहीं रुका। उन्होंने और उनकी टीम ने सात वैज्ञानिक उपकरणों वाली सोलर ऑब्जर्वेटरी पर काम करना जारी रखा। इस सोलर मिशन को पिछले साल 2 सितंबर को लॉन्च किया गया था। भारत के चंद्रयान 3 की सफलता के बाद अब पूरी दुनिया की नजरें भारत के इस अगले बड़े मिशन पर थी। शाजी और उनकी टीम ने कई अभ्यासों के बाद पृथ्वी से L1 बिंदु की ओर अपनी पूरी यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यान पर कड़ी नजर रखी। उनकी इस कड़ी मेहनत के चलते आज आदित्य एल1 हेलो कक्षा तक पहुंच गया है। इसरो के कई मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही 59 वर्षीय निगार, महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गई है।