आपको पता होगा कि किसी भी कार्य को करने से पहले सर्वप्रथम देवताओं में भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। गणेश जी को बुद्धि और समृद्धि का देव माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश का स्त्री अवतार (स्वरूप) भी है?
गणेश जी के स्त्री स्वरूप को कई नामों से जाना जाता है। जिनमें विनायकी, गणेशानी, गणेश्वरी, गजमुखी कुछ प्रमुख नाम है। भगवान गणेश के इस रूप के बारे में पौराणिक कथा भी है।
राजस्थान के रैरह में देवी विनायकी की एक मूर्ति है। आपको बता दें कि यह मूर्ति 5वीं शताब्दी से भी काफी पहले की है। यही नहीं देवी विनायकी का एक चित्र ओडिशा के हीरापुर में एक मंदिर में भी है। इस मंदिर में देवी विनायकी 64 योगिनियों में से एक हैं। ऐसा ही एक मंदिर तमिलनाडु के कन्याकुमारी में है जिसका नाम है थानुमलायन मंदिर। यह मंदिर 1300 साल पुराना है। इस मंदिर में देवी विनायकी की एक मूर्ति है। बता दें कि इस मूर्ति में देवी के चार दिव्य हाथों में कई शस्त्र भी हैं। इसके अलावा इस मूर्ति का चेहरा भगवान गणेश जी जैसा लगता है। आपको बता दें भारत के अलावा तिब्बत में भी गणेश जी के स्त्री रूप की पूजा होती है। तिब्बत में गणेश जी के स्त्री रूप को गणेशानी कहा जाता और उनकी पूजा की जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार अंधक नाम का एक राक्षस, माता पार्वती को अपनी पत्नी बनाना चाहता था। अपनी पत्नी के सम्मान की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अपना त्रिशूल अंधक के आर पार कर दिया। जैसे ही अंधक के खून की बूंद जमीन पर गिरी तो हर जगह एक नई राक्षसी शक्ति उत्पन्न होने लगी।
अंधक का खून जमीन पर गिरते ही अंधक की संख्या बढ़ती गई। माता पार्वती को तब यह समझ में आया कि हर देवीय शक्ति के 2 तत्व होते हैं। हर पुरुष में ताकत के अलावा एक स्त्री की शक्ति भी है जो करुणा और क्रोध दोनों ही है। इस वजह से मां पार्वती ने अपने 9 स्वरूप और सभी देवताओं का आह्वान किया। उन्होंने हर देवता की स्त्री शक्ति को पुकारा। उसके बाद विष्णु जी की कृपा से भगवान शिव जी ने शिवानी, ब्रह्मा जी ने ब्राह्मी देवी और भगवान नारायण ने नारायणी देवी का रूप लेकर अंधक से युद्ध किया। लेकिन सभी उसको हराने में असफल रहे।जिसके बाद देवी दुर्गा अपने दस रूपों में राक्षस के सामने आ गई थी। इन सभी ने मिलकर सभी अंधक की राक्षसी शक्तियों को मार गिराया था लेकिन अंधक का रक्त बहना फिर भी बंद नहीं हुआ था।
इसके बाद भगवान गणेश जी अपने स्त्री अवतार में आए और अंधक के साथ युद्ध किया। उन्होंने अंधक को बांध कर अपनी सूंड़ से अंधक के शरीर का सारा रक्त एक बार में खींच लिया और रक्त की एक भी बूंद को जमीन पर नहीं गिरने दिया। इस तरह अंधक के स्त्री रूप अंधिका का अंत हुआ और गणेश जी के विनायकी अवतार का जन्म हुआ। इसलिए भगवान गणेश जी की स्त्री के रूप में पूजा की जाती है।