भारतीय इतिहास में ऐसे कई किस्से हैं, जिनका जिक्र कभी ना कभी जरूर किया जाता है। जैसे आज भारत अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इसी कड़ी में भारतिका पर हम आपको बताएंगे भारतीय संविधान से जुड़ा एक ऐसा किस्सा जिसका जिक्र कम किया जाता है। आमतौर पर जब ये सवाल किया जाता है कि भारत का संविधान किसने लिखा था। तो लोगों की जुबां पर डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम सबसे पहले आता है। जबकि डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का निर्माता कहा जाता है। क्योंकि भारतीय संविधान लिखने का श्रेय उस समय के मशहूर कैलीग्राफर प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को जाता है।
वैसे तो भारत का संविधान 1946 में ही बनना तैयार हो गया था। मगर 29 अगस्त 1947 में भारतीय संविधान के निर्माण के लिए एक प्रारूप समिति का गठन किया गया। जिसके मुखिया बने डॉ भीमराव अंबेडकर। उन्हें विश्वभर के संविधानों को परखकर भारतीय संविधान तैयार करने का कारभार सौंपा गया था। अंबेडकर ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन के अंदर भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से तैयार कर लिया। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा इसे पारित किया गया। फिर ठीक दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया।
हालांकि कहानी शुरू हुई संविधान लागू होने के बाद.. जब भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने प्रेम बिहारी नारायण रायजादा से मुलाकात कर उन्हें संविधान इटैलिक में लिखने को कहा। साथ ही पूछा कि आप इस काम के लिए कितनी फीस लेंगे। आपको जानकर हैरानी होगी कि रायजाद ने उनके इस सवाल के जवाब में एक शर्त रख दी कि उन्हें फीस के बदले संविधान के हर पृष्ठ पर अपना नाम चाहिए। उन्होंने कहा कि वो संविधान के हर पृष्ठ पर अपना और अंतिम पृष्ठ पर अपने साथ अपने दादा जी का नाम लिखेंगे।
तो बस नेहरू जी ने उनकी शर्त स्वीकार की और करीब 6 महीने बाद 3 मई 1950 को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत के संविधान की मूल कॉपी सौंप दी। इस खास मौके पर संविधान निर्माता समिति के सभी सदस्यों समेत समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर भी मौजूद रहे।
बात करें प्रेम बिहारी नारायण रायजादा की, तो 17 दिसंबर 1901 में जन्में प्रेम बिहारी ने बहुत ही कम उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया था। ऐसे में उनकी परवरिश उनके दादा जी मास्टर रामप्रसाद सक्सेना ने की। रायजादा के दादा जी उस वक्त के जाने माने पारसी और अंग्रेजी भाषा के स्कॉलर थे। खुद अंग्रेज भी उनसे पारसी भाषा का ज्ञान लेने आया करते थे।
प्रेम बिहारी रायजादा ने दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने कैलीग्राफर आर्ट में मास्टर्स की। आपको बता दें कि पूरा संविधान लिखते हुए प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को कुल 432 पेन होल्डर निब का उपयोग करना पड़ा। वहीं हैरान करने वाली बात ये रही कि संविधान लिखने में उन्होंने एक बार भी गलती नहीं की। ये तो जाहिर है कि प्रेम रायजादा की कला और हुनर ने भारत के संविधान मे चार चांद लगा दिए। ऐसे में उनके इस योगदान को जितना सराहा जाए उतना कम है।