क्या आप जानते हैं कि क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने 2003 वर्ल्ड कप के दौरान अपने अंडरवियर में टिशू पेपर लगाकर बल्लेबाजी की थी? ये बात आपको चौंका सकती है, लेकिन इसके पीछे की कहानी और भी ज्यादा दिलचस्प है। चलिए जानते हैं, आखिर ऐसा क्या हुआ था जो सचिन को ये करना पड़ा।”
सचिन तेंदुलकर: मैदान पर हर हाल में 100% देने वाला खिलाड़ी
भारतीय क्रिकेट के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट इतिहास का सबसे महान खिलाड़ी माना जाता है। उन्होंने अपने करियर में ऐसे कई रिकॉर्ड बनाए हैं जिन्हें तोड़ना लगभग नामुमकिन है। टेस्ट क्रिकेट और वनडे दोनों में सबसे ज्यादा रन और शतक बनाने वाले सचिन ने हमेशा साबित किया कि टीम से बढ़कर कुछ भी नहीं। बता दें कि सचिन तेंदुलकर ने अपने टेस्ट क्रिकेट करियर में 15921 रन बनाए हैं, वहीं वनडे मैच में 18426 रन बनाए हैं. सचिन ने अपना पहला फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच मुम्बई के लिये 14 साल की उम्र में खेला था. सचिन तेंदुलकर ने अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर की शुरुआत 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची से की थी.
लेकिन, साल 2003 के वर्ल्ड कप के दौरान जो हुआ, वह एक मिसाल है कि सचिन ने मैदान पर खेलने के लिए किस हद तक खुद को तैयार किया। सचिन तेंदुलकर ने इस घटना का जिक्र अपनी किताब ‘प्लेइंग इट माय वे’ और लंदन के केनिंग्टन ओवल ग्राउंड में कॉमेंट्री के दौरान किया था।
2003 वर्ल्ड कप का अनोखा किस्सा
यह किस्सा है टीम इंडिया और श्रीलंका के बीच खेले गए जोहान्सबर्ग मैच का। उस मैच में सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग ने ओपनिंग की थी। लेकिन मैदान पर उतरने से पहले सचिन की हालत ठीक नहीं थी। उस वक्त सचिन तेंदुलकर का पेट काफी खराब हो गया था, लेकिन खेलना तो था ही, फिर क्या था सचिन ने अपने अंडरवियर में टिश्यू पेपर लगाया और बल्लेबाजी करने मैदान पर उतर आए.
सचिन को डिहाइड्रेशन और पेट दर्द की समस्या थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने एनर्जी ड्रिंक में नमक मिलाकर पी लिया था, ताकि हालत में सुधार हो सके। लेकिन इससे उनकी तबीयत और बिगड़ गई। बावजूद इसके, सचिन ने मैदान पर उतरने का फैसला किया। पेट दर्द को संभालने के लिए उन्होंने अपने अंडरवियर में टिशू पेपर लगाया और बल्लेबाजी के लिए तैयार हो गए।
सचिन और सहवाग की धुआंधार पारी
मैदान पर उतरने के बाद सचिन और सहवाग की जबरदस्त साझेदारी ने श्रीलंकाई गेंदबाजों की बखिया उधेड़ दी। सचिन ने 97 रनों की शानदार पारी खेली, जिसकी बदौलत भारत ने यह मैच 183 रनों से जीत लिया। उस मैच में सचिन का प्रदर्शन उनकी मानसिक और शारीरिक ताकत का बेहतरीन उदाहरण था।
2003 वर्ल्ड कप का प्रदर्शन और सचिन की उपलब्धियां
हालांकि, 2003 वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला भारत हार गया था। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराकर ट्रॉफी अपने नाम कर ली। लेकिन सचिन तेंदुलकर ने पूरे टूर्नामेंट में इतना शानदार प्रदर्शन किया कि उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ के खिताब से नवाजा गया।
सचिन का नजरिया: मैदान पर 100% देना जरूरी है
सचिन तेंदुलकर हमेशा से मानते थे कि मैदान पर प्रदर्शन किसी भी खिलाड़ी के लिए सबसे जरूरी है। उन्होंने हर मुश्किल परिस्थिति में टीम के लिए खुद को साबित किया। यही वजह है कि आज भी उन्हें क्रिकेट का भगवान कहा जाता है।
तो दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा था कि सचिन तेंदुलकर जैसे लेजेंड को ऐसी परिस्थितियों में खेलना पड़ा होगा? यह कहानी सिर्फ एक महान खिलाड़ी की नहीं, बल्कि उस जज्बे की भी है जो किसी को अद्भुत बना देती है।