अगर आपने कभी अपने सामने किसी व्यक्ति को मिर्गी के दौरे पड़ते देखा होगा, तो आपके दिमाग में एक सवाल जरूर आया होगा कि आप उस समय कैसे उस व्यक्ति के दौरे रोक सकते हैं, या उस समय आपको व्यक्ति की हालत में सुधार के लिए क्या करना चाहिए। लेकिन अक्सर हमारे पास इन सवालों के जवाब नहीं होते हैं। जिसके चलते आज हम भारतिका पर हम आपके इन सवालों के जवाब देंगे।
सबसे पहले जानते हैं कि आखिर क्या है मिर्गी, और कैसे पड़ते हैं इंसान को दौरे? मिर्गी एक सामान्य क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है, जिसमें दिमाग की गतिविधि असामान्य हो जाती है और व्यक्ति को दौरे, असामान्य व्यवहार, संवेदनाओं के आवेग आ सकते हैं। अक्सर मिर्गी के दौरे पड़ने पर इंसान अपने सोचने समझने की शक्ति खो देता है वहीं उसकी मांसपेशियों ऐंठने लगती हैं। जब व्यक्ति को दौरा पड़ता है तो दिमाग और शरीर का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ जाता है। बेहोश होकर कुछ लोग जमीन पर गिर जाते हैं तो कुछ लोग लड़खड़ाने लगते हैं। यदि इसका इलाज समय पर न हो तो ये बीमारी काफी खतरनाक साबित हो सकती है। भारत में लोगों को मिर्गी के बारे में जागरुक करने के लिए हर साल 17 नवंबर को ‘नेशनल एपिलेप्सी डे’ मनाया जाता है। यह बच्चों में एक आम स्थिति है,जो अक्सर माता-पिता को काफी परेशान करती है।
आइए जानते हैं, मिर्गी के लक्षण और इसके उपाय क्या है।
विशेषज्ञों के अनुसार, रोगियों में मिर्गी के सही कारणों का अक्सर पता लगा पाना आसान नहीं होता। जहां एक तरफ कई सही सलामत दिख रहे लोगों को भी मिर्गी के दौरे पड़ जाते हैं, तो वहीं कई लोगों को किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के बाद मिर्गी के दौरे आने लगते हैं।
मिर्गी आने के निम्नलिखित कारण भी हो सकते हैं जैसे:-
- सिर पर चोट लगना
- संक्रमण
- मस्तिष्क के आकार में बदलाव
- ब्रेन ट्यूमर का होना
- ऑटिज़्म
- जन्म के पहले की चोट
- अनुवांशिक कारण
- विकास संबंधी दोष
- मिर्गी का दौरा पड़ता है तो क्या करें?
- मिर्गी का दौरा आने पर व्यक्ति को धीरे-धीरे फर्श पर लिटा दें।
- उसके बाद उसके सिर के नीचे तकिया या आराम के लिए कुछ चीज़ें रखें, जिससे उसके सिर को आराम मिलें।
- अगर व्यक्ति ने कसे हुए कपड़े पहने हैं, तो उन्हें तुरंत ढ़ीला कर दें।
- ऐसी स्थिति में मुंह में कुछ भी न डालें, इस दौरान किसी तरह की कोई दवाई दांत या जीभ को नुकसान पहुंच सकती है।
- ठीक होने तक व्यक्ति के साथ बने रहें और डॉक्टर को स्थिति के बारे में विस्तार से बताएं।
यदि एक बार दौरा पड़ा है तो इसका मतलब यह नहीं होता कि मिर्गी है। ऐसे लोग भी होते हैं जिनके पूरे जीवनकाल में सिर्फ एक दौरा या एक से अधिक दौरे ही पड़ते हैं। कई बार दौरा अलग-अलग परिस्थितियों में भी आ सकता है, यह उच्च तापमान की वजह से भी हो सकता है।
मिर्गी के दौरे से कैसे बचें?
- दवाई समय पर और नियमित रूप से खाएं
- हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं
- पर्याप्त नींद लें
- रोजाना व्यायाम करें।
- तनाव और चिंता कम करें।
- शराब और नशीली चीजों से दूर रहें
- खूब पानी पिएं
किन लोगों को ज्यादा खतरा?
डॉक्टर की मानें तो मिर्गी की बीमारी सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को प्रभावित करती है। इसका खतरा 10 साल की उम्र तक ज्यादा होता है। 40-50 साल की उम्र के बाद यह बीमारी लोगों में कॉमन हो जाती है। 10 से 40 साल की उम्र के बीच लोगों को मिर्गी का खतरा कम हो जाता है।
कुछ रिपोर्ट्स पर नजर डालें, तो पता चलेगा कि आमतौर पर 1 से 2 प्रतिशत लोगों को मिर्गी की शिकायत होती है, लेकिन 10 से 40 साल की उम्र के बीच इसके मामले 0.5 फीसदी या इससे कम दर्ज किए जाते हैं। इसके अलावा ट्यूमर, दिमाग में गांठ, ब्रेन में असमानता, सिर में चोट लगना या जेनेटिक प्रॉब्लम वाले लोगों पर इसका सबसे ज्यादा खतरा बना होता है। ऐसे लोगों को सबसे ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए।