पूरे उत्तर भारत में शीतलहर चल रही है, इसी ठंड के बीच आम के पेड़ों में मंजर आने शुरु होंगे और जैसे ही शीतलहर का प्रभाव कम होगा मंजर अपने रंग में दिखने लगेंगे लेकिन साथ ही आम की फसल को प्रमुख रोजगार के तौर पर रखने वाले किसानों की चिंता भी बढ़ेगी, इन फसलों में लगने वाले रोग और उसके बचाव के उपाय को लेकर। भारतिका आपके लिए ऐसी ही जरूरी जानकारी लेकर आएगा।
दरअसल आम के रोगों का प्रबन्धन कई प्रकार से किया जाता है। आम के बगीचों में खर्रा, दहिया रोग के अलावा पावडरी मिल्ड्यू नाम की बीमारी लगती है इनसे बचने के लिए एक लीटर पानी में 2 ग्राम घुलनशील गंधक, या ट्राईमार्फ या डाइनोकैप 1 मिलीलीटर एक लीटर पानी में घोलकर मंजर दिखने के तुरंत बाद पहला छिड़काव और फिर दूसरा 10-15 दिन बाद और तीसरा उसके 10-15 दिनों बाद करना चाहिए।
आम की फसल को एन्थ्रक्नोज फोमा ब्लाइट डाईबैक तथा रेडरस्ट से बचाव के लिए कापर आक्सीक्लोराईड 3 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर 15 दिन के अन्तर पर बारिश शुरु होने पर दो बार जरूर छिड़कें साथ ही अक्टूबर-नवम्वर के महीने में भी 2-3 छिडकाव करें तो बेहतर होगा। ऐसा करने से आम के बौर आने में कोई परेशानी न होगी ।