आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में बुधवार रात एक भयावह घटना सामने आई। दरअसल, एकादशी के अवसर पर दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए थे। ये सभी लोग टोकन प्राप्त करने के लिए घंटों से लाइन में खड़े थे। जैसे ही पुलिस ने तिरुमाला श्रीवारी वैकुंठ द्वार के टिकट काउंटर को खोला, भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई।
इस हादसे में अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 40 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हैं। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने पीड़ित परिवारों को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। राज्य के मंत्री सत्य प्रसाद ने मुआवजे की घोषणा करते हुए बताया कि घटना की जांच के लिए मामले दर्ज कर लिए गए हैं। पुलिस ने बीएनएस की धारा 194 के तहत मामला दर्ज किया है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने का वादा किया है।
कैसे हुआ हादसा?
एकादशी के दर्शन के लिए तिरुपति मंदिर में हजारों श्रद्धालु पहुंचे थे। मंदिर प्रबंधन ने दर्शन के लिए टोकन अनिवार्य कर दिए थे, जो बिना टोकन के संभव नहीं थे। टोकन वितरण के लिए कुल 91 काउंटर लगाए गए थे। एक पीड़ित परिवार ने बताया कि वे सुबह 11 बजे से लाइन में खड़े थे और टोकन का इंतजार कर रहे थे।
जैसे ही पुलिस ने वैकुंठ द्वार टिकट काउंटर खोला, हजारों लोग एक साथ टोकन लेने के लिए दौड़ पड़े। इस भगदड़ में कई लोग कुचल गए और एक-दूसरे के ऊपर गिर पड़े। मरने वालों में एक महिला की पहचान मल्लिका के रूप में हुई है। उनके पति ने बताया कि वे दोनों टोकन लेने के लिए काउंटर की ओर बढ़ रहे थे, तभी भगदड़ मच गई। इस हादसे में मल्लिका की मौत हो गई।
कौन है जिम्मेदार?
घटना के बाद जिम्मेदारी का सवाल उठ खड़ा हुआ है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने इस हादसे पर अपनी सफाई दी है। टीटीडी बोर्ड सदस्य भानु प्रकाश रेड्डी ने कहा कि दर्शन के लिए हमने 91 काउंटर खोले थे, लेकिन भीड़ का दबाव इतना ज्यादा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घट गई। उन्होंने श्रद्धालुओं से माफी भी मांगी। टीटीडी के चेयरमैन बी.आर. नायडू ने इसे अत्यधिक भीड़ के कारण हुआ हादसा बताया।
जांच अभी जारी है, और पुलिस इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है। इस त्रासदी ने तिरुपति मंदिर प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।