जनवरी, साल 2023 में राजस्थान के बाड़मेर जिले के रहने वाले एक जैन दंपत्ति ने एक साथ संथारा लेने का फैसला किया और ये खबर जैन धर्म के लिए इतिहास बन गई। क्योंकि ये पहली बार था जब किसी जैन दंपत्ति ने एक साथ संथारा लिया हो। संलेखना यानी संथारा लेने वाले दंपत्ति का नाम पुखराज संकलेचा और गुलाब देवी बताया गया। जिन्होंने धीरे-धीरे अन्न का त्याग किया फिर जल ग्रहण करना भी बंद किया और कुछ ही दिनों बाद अपना देह त्याग दिया।
आपको सुनकर ये खुदकुशी या आत्महत्या जैसा लगा होगा। लेकिन जैन धर्म के अनुसार, संथारा लेना खुदकुशी नहीं बल्कि आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति है। जैन धर्म में संथारा या संलेखना को बहुत पवित्र माना जाता है। लेकिन कोई भी व्यक्ति यूं ही अपनी मर्जी से संथारा ग्रहण नहीं कर सकता है। इसके लिए जैन धर्म के धर्मगुरू की आज्ञा होना बहुत जरूरी होता है।
कहा जाता है कि केवल बूढ़े हो चुके ऐसे व्यक्ति ही संथारा ले सकते हैं। जिनके जीने का मकसद पूरा हो चुका हो या जिन्हें कोई लाइलाज बीमारी हो.. हालांकि कई मामलों में युवाओं को भी संथारा लेते देखा गया है। जबकि कई मामलों में घर के बुजुर्गों को जोर-जबरदस्ती से संथारा लेने के लिए मजबूर किया जाता है।
जैन धर्म में संथारा लेने के भी कई नियम हैं। कहा जाता है कि अगर किसी ने संथारा लिया है तो उसकी मौत पर रोने की बजाय उत्सव मनाना चाहिए। संथारा लेने वाले व्यक्ति सभी बुरी भावनाएं छोड़कर, सभी को माफकर अपनी गलतियां माननी चाहिए। जिस दिन से व्यक्ति संथारा ग्रहण करता है उस दिन से उसके आस-पास धर्मग्रंथ का पाठ और प्रवचन किए जाते हैं। कई बार इस प्रथा में इंसान की मृत्यु कुछ ही दिनों में हो जाती है वहीं कई बार इंसान को देह त्यागने में महीनों लग जाते हैं।
जहां जैन धर्म के लोग इसे पवित्र और आस्था का विषय मानते हैं तो कई लोग इस प्रथा का विरोध भी करते हैं। लोगों की नज़र में संथारा आत्महत्या का ही स्वरूप है। जिसके चलते साल 2006 में निखिल सोनी नाम के व्यक्ति ने संथारा के खिलाफ जनहित याचिका दायर की। 2015 में राजस्थान हाई कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया और इस प्रथा को गैरकानूनी करार दिया।
लेकिन जैन धर्मगुरूओं ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया। जिसके बाद धार्मिक मान्यताओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को स्थगित कर संथारा प्रथा जारी रखने की मंजूरी दे दी। अब आप बताएं कि जैन धर्म में संथारा लेना कहीं आपके अनुसार खुदकुशी या आत्महत्या तो नहीं।