7 सितंबर से अमेरिका के तटीय शहर सैन डियेगो में वर्ल्ड लंग कैंसर कॉन्फ्रेंस की शुरूआत की गई है। इस कॉन्फ्रेंस में भारत के वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश को पेशेंट एडवोकेसी एडुकेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं, रवि प्रकाश इस साल यह पुरस्कार पाने वाले इकलौते भारतीय हैं। जानकारी के लिए बता दें कि इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लंग कैंसर यानी कि IASLC लंग कैंसर पर काम करने वाली दुनिया की एक प्रतिष्ठित संस्था है। IASLC की ओर से हर साल ये पुरस्कार दुनिया के कुछ ऐसे गिने-चुने लोगों को दिया जाता है, जो अपने देश में मौजूद लंग कैंसर के मरीजों की आवाज़ बन चुके हैं।
इस साल यह पुरस्कार रवि प्रकाश जी के अलावा दुनिया के 9 और लोगों को दिया गया है। जिनमें ऑस्ट्रेलिया, मैक्सिको, अमेरिका, इटली, यूके और नाइजिरिया समेत थाइलैंड से मरीज एडवोकेट शामिल हैं। लेकिन भारत से चुने गए रवि प्रकाश इकलौते ऐसे व्यक्ति हैं, जो खुद मरीज होकर पेशेंट एडवोकेसी करते हैं। जबकि बाकी देशों से चुने गए विजेता या तो केयरगिवर्स हैं, या फिर लंग कैंसर के लिए काम करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधि हैं। आपको बता दें कि शनिवार, 7 सितंबर 2024 की शाम को सैन डियेगो कन्वेंशन सेंटर में आयोजित हुए इस समारोह में करीब 100 देशों के प्रतिनिधियों के सामने ये पुरस्कार दिए गए हैं।
भारत के वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश ने यह पुरस्कार लेते समय विदेशी मंच पर अपनी संस्कृति की झलक पेश की। दरअसल, उन्होंने झारखंड की विशेष बंडी और सरना गमछा पहनकर पुरस्कार लिया। देखा जाए तो रवि प्रकाश ने बेहद बारीकी के साथ विश्व लंग कैंसर कॉन्फ्रेंस में 100 देशों के प्रतिनिधियों के बीच वैश्विक स्तर पर अपने परिधान से सरना धर्म कोड की वकालत कर दी। बता दें कि यह प्रस्ताव फिलहाल भारत सरकार के पास विचाराधीन है।
हालांकि इस पर रवि प्रकाश ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, “बात किसी धर्म विशेष के प्रचार की नहीं है, हम भारत के लोग हैं और संविधान की प्रस्तावना में ही धर्मनिरपेक्ष शब्द लिखा है। लेकिन, आप 75 सालों तक आदिवासियों से उनके धर्म की पहचान नही छीन सकते। वे धर्म के कॉलम में ‘अन्य’ शब्द कब तक लिखेंगे। इसलिए मैंने यह बंडी पहनकर पुरस्कार लेने का फैसला लिया था। इसके लिए मैं जोहारग्राम का आभारी हूँ.”
कैंसर के बाद रवि प्रकाश का जीवन
वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश पिछले करीब पौने चार सालों से लंग कैंसर के अंतिम स्टेज के मरीज हैं। पिछले जून में उनकी बीमारी उने दिमाग तक पहुंच गई थी। जिसके बाद उनका पुराना मेडिकेशन रोका गया और हालत में सुधार आने के बाद उनकी बीमारी फिर से प्रोगेस कर गई। हालांकि वो अभी भी गंभीर रूप से बीमार हैं। पिछले करीब डेढ़ महीने से वो मुंबई में कार-टी सेल थेरेपी ले रहे हैं। इसके अलावा अभी तक उन्हें गामा-डेल्टा सेल के तीन इन्फ्यूजन दिए जा चुके हैं। जबकि चौथा इन्फ्यूजन उन्हें अमेरिका से वापिस लौटते ही दिया जाना है।
आखिर कैसे कैंसर मरीज़ों की आवाज़ बनें रवि प्रकाश
रवि प्रकाश के मुताबिक, उन्होंने कैंसर मरीज रहते हुए कैंसर के इलाज में होने वाली कठिनाई, खर्च और सरकार की सुविधाओं व योजनाओं की कमियों को लेकर कई लेख लिखें हैं। उन्होंने लगातार देश-विदेश के अलग-अलग मंच पर कॉन्फ्रेंस कर लंग कैंसर के मरीज़ों की समस्याओं को उठाया है। यहां तक कि उन्होंने झारखंड़ के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर भी कैंसर मरीज़ों की कठिनाइयों का जिक्र किया, जिसके परिणामस्वरूप झारखंड़ सरकार ने सीएम गंभीर बीमारी उपचार योजना की सीमा को 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने का फैसला लिया था। हालांकि रवि ने अब हेंमत सरकार से यह सीमा 15 लाख करने का अनुराध किया है।
आपको बता दें कि रवि प्रकाश वरिष्ठ पत्रकार होने के अलावा लंग कैंसर के मरीज़ों के लिए काम कर रही भारत की प्रतिष्ठित संस्था लंग कनेक्ट इंडिया फ़ाउंडेशन के सह संस्थापक और निदेशक भी हैं। इतना ही नहीं, वे टाटा मेमोरियरल हॉस्पिटल मुंबई के प्रोफेसर डॉक्टर कुमार प्रभाष की पहल पर स्थापित लंग कनेक्ट में निदेशक के तौर पर काम करते हैं। इस ग्रुप की मदद से वे अब तक 15 हजार से ज्यादा मरीज़ों की मदद कर चुके हैं। इसके अलावा रवि के कैंसर वाला कैमरा का आयोजन सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है।