लोकसभा के लिए पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होनी है। वहीं मध्यप्रदेश के सीधी संसदीय क्षेत्र में भी पहली वोटिंग इसी दिन होगी। लेकिन चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में कई नेता कांग्रेस व अन्य दल छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं। इसी कड़ी में 6 अप्रैल को देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जब सीधी में पार्टी के प्रत्याशी डॉक्टर राजेश मिश्रा की तरफ से चुनाव का प्रचार करने पहुंचे थे। तभी सीधी नगर पालिका की अध्यक्ष काजल वर्मा भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई थीं। जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी खूब चर्चा भी हुई।
लेकिन अब एक बार फिर इस कहानी ने एक नया मोड़ लिया है। अचानक ही दो दिन बाद काजल वर्मा ने अपने ससुर और कांग्रेस नेता विनोद वर्मा के साथ कांग्रेस के जिला कार्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस करके बताया कि मैं वहां गई थी लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि मैं कहां जा रही हूं। मैं कांग्रेस पार्षदों के समर्थन से अध्यक्ष बनी हूं और मैं हमेशा कांग्रेस में ही रहूंगी।
गौरतलब है कि बीते 6 अप्रैल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष कांग्रेस नेता काजल वर्मा के भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेने के बाद कांग्रेसी पार्षद मुखर हो गए थे और उन्होंने नगर पालिका की प्रेसिडेंट इन काउंसिल सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं सीधी नगर पालिका परिषद में कांग्रेसी पार्षदों की संख्या ज्यादा होने की वजह से काजल वर्मा कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गई थी, लेकिन पार्षदों का इस्तीफा देने के बाद उनके अल्पमत में आने की संभावना जताई जा रही है। और अब ऐसा माना जा रहा है कि कुर्सी जाने के डर से काजल ने वापस कांग्रेस जॉइन कर ली है।
जाहिर है कि लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों की घोषणाओं के बीच कई बड़े नेता भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं। हालांकि सभी ने अपने अपने कारण दिए हैं। वहीं दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना समेत कई आप नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा ने उन्हें आम आदमी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने का ऑफर दिया है। हालांकि उन्होंने ये ऑफर ठुकराने का भी दावा किया है। लेकिन क्या कारण हो सकता है कि बड़ी संख्या में नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं।