पूरे फसल चक्र के दौरान यानी की बुआई से लेकर कटाई तक समय-समय पर विभिन्न फसलों पर कीट-रोग लगते हैं, जिससे फसलों की पैदावार में कमी आ जाती है। किसान इन कीट-रोगों की समय पर पहचान कर फसल को होने वाले नुक़सान से बचा सकते हैं। इसी तरह अभी गेहूं की फसल में जड़ माहू कीट लगने की संभावना बनी हुई है। बिहार और उत्तर प्रदेश में इसको महुआ लगना कहते हैं जबकि राजस्थान और मध्यप्रदेश के इलाकों में इसे माहू कहा जाता है। इसको लेकर जिसको लेकर कृषि विभाग द्वारा गेहूं की फसल में लगने वाले जड़ माहू कीट से बचाव हेतु एडवाइजरी जारी की गई है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को दी गई सलाह में बताया गया है कि मौसम की प्रतिकूलता के कारण गेहूं की फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप होने की संभावना है। इसके लिए किसान गेहूं की फसल की लगातार निगरानी करते रहें।
गेहूं में जड़ माहू लगने पर क्या होता है? दरअसल यह बीट गेहूं फसल में पौधों की जड़ों से रस चूसता है जिसके कारण पौधा पीला पड़ने लगता है और धीरे-धीरे सूखने लगता है। शुरुआत में खेतों में जगह-जगह पीले पड़े हुए पौधे दिखाई देते है, बाद में पूरा खेत सूखने की संभावना रहती है। यह कीट हल्के पीले रंग से गहरे हरे रंग का होता है जो जड़ों का रस चूसता हुआ दिखाई पड़ता है। गेहूं के पौधों को जड़ से उखाड़ने पर ध्यानपूर्वक देखने से यह कीट आसानी से दिखाई देता है।