द्वि-राष्ट्र सिद्धांत.. जिसके विरोधी रहे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हमेशा कहा कि भारत जैसे देश में कभी भी टू नेशन थ्योरी हो ही नहीं सकती। क्योंकि भारत विविधताओं का देश है। यहां सिर्फ दो नहीं बल्कि कई धर्मों के लोग रहते हैं। उनका कहना था कि अगर टू नेशन थ्योरी होगी तो केवल टू ही क्यों थ्री, फॉर, फाईव नेशन थ्योरी क्यों नहीं। सिर्फ हिंदू और मुस्लिम ही क्यों, ईसाई, जैन, बौद्ध धर्मों का क्या होगा। इसलिए भारत में इस थ्योरी का होना मुमकिन नहीं है।
इतना ही नहीं, गांधी का कहना था कि जब तक भारत में सांप्रदायिक एकता नहीं होगी, तब तक भारत को आज़ादी नहीं मिल सकती। ये तब की बात है जब भारत के वॉयसराय वॉवेल थे। वॉवेल का सीधा हिसाब था दो धर्मों में फूट डालकर उनपर कब्जा करना। ऐसे में जब गांधी पहली बार कोलकत्ता में वॉवेल से मिले तो उन्होंने देश में चल रही राजनीति को देखते हुए उनसे कहा, “कि हम जिस हाल में हैं, हमें छोड़ दीजिए। हम अपनी समस्याओं का हल खुद निकाल सकते हैं।
ट्रेन में हिंदू-मुस्लिम पानी देख हैरान हुए गांधी
ब्रिटिशर्स के बनाए नियमों का ही नतीज़ा था, जो नज़ारा गांधी ने हरिद्वार जाती ट्रेन में देखा। कहते हैं कि जब गांधी 1915 में हरिद्वार कुंभ मेले में जा रहे थे। तब सहारनपुर रूकी ट्रेन में बैठे लोगों का गला प्यास से सूख रहा था मगर जब कोई पानी पिलाने वाला मुस्लिम ट्रेन में चढ़ता, तो बस उसका धर्म जानकर लोग वो पानी नहीं पी रहे थे। ये सब देखने के बाद गांधी हैरान हो गए। गांधी को ये बात कई दिनों तक यूं ही सताती रही। उन्होंने अपने विचारों और बातों के जरिए लोगों के बीच फैले इस भेद को मिटाने की भी कोशिश की।
जब गांधी ने की सुभाष चंद्र बोस की तारीफ
महात्मा गांधी हमेशा से ही सुभाषचंद्र बोस के काम करने के तरीके से नाखुश रहे हैं। उन्होंने कई बार उनके फैसलों की आलोचन भी की। मगर हिंदू-मुस्लिम चाय से जुड़े एक किस्से ने गांधी को बोस की तारीफ करने का एक बड़ा कारण दिया। दरअसल, जब आज़ाद हिंद फ़ौज के तमाम लोगों को गिरफ़्तार कर लालकिले में बंद किया गया था। तो गांधी उनसे मिलने वहां पहुंचे। वहां उन्हें मालूम चला कि सुबह के समय सिपाही हांक लगाते हैं कि हिंदू चाय आ गई और मुस्लिम चाय आने वाली है।
ये देखकर गांधी ने इसके पीछे वजह जानने की कोशिश की। जिसपर गांधी को सिपाहियों ने बताया कि ब्रिटिश हुकूमत का ऑर्डर है कि हिंदू और मुस्लिम चाय अलग अलग बने। मगर हमारी ऐसी मंशा नहीं है। तो हम एक बड़े बर्तन में दोनों चायों को मिलाते हैं और बांटकर पीते है। ये देखने के बाद जब गांधी लालकिले से लौटे तो उन्होंने साफतौर पर कहा कि ‘सुभाष चंद्र बोस का सबसे बड़ा योगदान एक पूरा संगठन खड़ा कर उसमें हिंदू मुसलमान का भेद मिटा देना है इसके लिए मैं उन्हें सलाम करता हूं।