मुंबई पुलिस में पूर्व पुलिस अधिकारी के पद पर रहे प्रदीप शर्मा, आज कल फिर सुर्खियों में छाए हुए हैं। लेकिन इस बार वजह उनका कोई नया एनकाउंटर नहीं बल्कि बॉम्बे हाई कोर्ट की ओर से उन्हें सुनाई गई उम्रकैद की सजा है। बता दें कि अपने पुलिस करियर के दौरान 113 एनकाउंटर करने वाले प्रदीप शर्मा को साल 2006 में रामनारायण गुप्ता के फर्जी एनकाउंटर मामले में उम्रकैद की सजा हुई है। लेकिन आखिर कैसे वो एक लोकप्रिय पुलिस अधिकारी से गैंगस्टर प्रदीप शर्मा बने.. चलिए जानते हैं।
शुरूआत करते हैं कि आखिर कौन हैं प्रदीप शर्मा ?
‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ प्रदीप शर्मा 1983 बैच के एक पुलिस अधिकारी हैं। इनके बैचमेट विजय सालस्कर, प्रफुल्ल भोसले, रविंद्र आंग्रे और विनायक सौदे जैसे पुलिस अधिकारी रहे। यह सभी अधिकारी दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, अरुण गवली और अमर नाइक द्वारा चलाए जा रहे गैंग पर अपनी कार्रवाई के लिए जाने जाते हैं। प्रदीप शर्मा ने 1999 में अपनी टीम के सदस्यों के साथ छोटा राजन के सहयोगी विनोद मातकर को मार गिराया था। उसी साल पुलिस ने डी-कंपनी के गैंगस्टर सादिक कालिया को मुंबई के दादर में मार गिराया। इसके बाद साल 2003 में प्रदीप शर्मा और उनकी टीम ने तीन संदिग्ध लश्कर आतंकियों को मुंबई के गोरेगांव में ढ़ेर कर दिया।
कहते हैं कि उन दिनों प्रदीप शर्मा का नाम अक़्सर अखबारों की सुर्खियों में छपने लगा था। इतना ही नहीं, उनके नाम का असर अंडरवर्ल्ड पर भी दिखने लगा था। पुलिस के सभी विभागों के बीच प्रदीप शर्मा का रूतबा काफी बढ़ गया था। ऐसे में उनका प्रमोशन हुआ तो उन्हें मुंबई पुलिस की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में सीनियर इंस्पेक्टर बना दिया गया। तब तक उन्हें पुलिस सेवा में 25 साल हो चुके थे। उनके नाम 113 अपराधियों के एनकाउंटर दर्ज थे। जिनमें कई आतंकियों के नाम भी शामिल थे। अंडरवर्ल्ड के सबसे बड़े डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कास्कर को भी प्रदीप ने गिरफ्तार किया था। लेकिन इतनी सारी उपलब्धियों के बावजूद भी आज प्रदीप शर्मा को उम्रकैद की सजा क्यों ?
ये बात है साल 2006 की, जब प्रदीप शर्मा की जिंदगी आसमान की ऊंचाई से सीधे जमीन पर आ गिरी। दरअसल, एक पुलिस एनकाउंटर में उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के कथित गुर्गे रामनारायण गुप्ता को मार गिराया था। लेकिन जब बाद इस मामले की तहकीकात की गई तो मालूम चला कि ये एनकाउंटर फर्जी था। जिसके बाद से मानों शर्मा का पूरा जीवन विवादों से घिर गया। उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और सुनवाई चली तो अदालत ने शर्मा को दोषी बताकर साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई। आगे जाकर शर्मा की मुश्किलें और बढ़ीं, जहां महाराष्ट्र सरकार ने उनको साल 2008 में पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया, तो वहीं साल 2013 में इस मामले में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।
जेल से बाहर आने के बाद करीब 4 सालों तक प्रदीप शर्मा ने विभाग में अपनी वापसी के लिए खूब जद्दोजहद की, जिसके बाद साल 2017 में महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें सेवा में वापस ले लिया। लेकिन 2019 में अचानक ही प्रदीप शर्म ने पुलिस सेवा से वीआरएस ले लिया और शिवसेना ज्वाइन कर राजनीति में कदम रखा। इसके बाद 17 जून 2021 को एंटीलिया और मनसुख मर्डर केस में नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी यानी कि NIA ने शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। पहले मुकेश अंबानी के घर के बाहर एक स्कॉर्पियो में विस्फोटक बरामद किए गए, फिर कार के मालिक बताए गए मनसुख हिरेन का शव बरामद हुआ। पुलिस ने जांच में पाया कि दोनों ही मामलों के लिंक आपस में जुड़े हुए हैं। मामले की जांच NIA कर रही थी और NIA ने इस मामले में प्रदीप शर्मा का भी हाथ शामिल होने की बात कही।
वहीं 19 मार्च 2024 को जस्टिस रेवती मोहित डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की पीठ ने रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया के एनकाउंटर मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने पहले कई सबूतों को नजरअंदाज करते हुए गलत फैसला सुनाया था, पीठ के मुताबिक, प्रदीप शर्मा ने रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया को नवी मुंबई के वाशी में पहले घर से उसे किडनैप किया फिर नाना-नानी उद्यान के पास उसे गोली मारी और पूरे क्राइम को एक एनकाउंटर के रूप में सभी के सामने पेश कर दिया। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने अपनी जांच में पाया कि लखन भैया का एनकाउंटर नहीं हुआ था बल्कि उसे सुपारी किलिंग के तहत मारा गया था। जो किसी और ने नहीं बल्कि लखन भैया के दोस्त जनार्दन भानगे ने दी थी।
हालांकि बीते मंगलवार को हाईकोर्ट ने भले ही प्रदीप शर्मा को उम्रकैद की सजा सुना दी हो मगर प्रदीप शर्मा तुरंत जेल नहीं जाएंगे। उन्हें फिलहाल सरेंडर करने के लिए तीन हफ्तों का वक्त दिया गया है। जिसमें ये भी कहा जा रहा है कि शायद वो सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सकते हैं जिसके चलते उनकी सजा पर रोक लगाई जा सकती है।