श्रीराम मंदिर अयोध्या के शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा ने भारतिका से बातचीत में कुछ दिलचस्प जानकारियां दी। बात 1989 की है जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाने को लेकर आँदोलन शुरु हो चुका था। विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख अशोक सिंघल उस वक्त आँदोलन के केंद्र में थे। एक दिन बिरला जी ने सोमपुरा जी को कहा कि तुम सिंघल जी के साथ अयोध्या जाओ और जिस जगह मंदिर बनाना है उसका नाप लेकर आओ। कोर्ट ने प्रतिबंध लगा रखा था इसलिए वहां गर्वनमेंट टेप या किसी तरह की मापपट्टी का उपयोग नहीं किया जा सकता था। इसलिए चंद्रकांत सोमपुरा ने रामलला के उद्भव स्थान से दाएँ और बाएँ की तरफ चहलकदमी करते हुए कदमों से नाप की। कुल 82 कदम में जगह तय की गई। कुछ सालों बाद उन्हीं कदमों के आधार पर नक्शा तैयार हुआ और कदमों के माप से ही डिजाइन फाइनल किया गया।
प्रयागराज कुंभ में तमाम संतों से सलाह मशविरे के बाद लकड़ी का एक मॉडल बना जो बरसों तक राम मंदिर का प्रतीक रहा। 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के रास्ते साफ कर दिए उसके बाद लगातार कई जरूरी परिवर्तन किए गए। जिसमें सबसे बड़ा परिवर्तन था मंदिर की ऊँचाई को लेकर। पहले से तय 128 फीट की ऊंचाई को बढ़ाकर 161 फीट कर दिया गया। पहले दो मंडप बनाने की योजना थी लेकिन बाद में पांच मंडप में उसे तब्दील कर दिया गया। चंद्रकांत सोमपुरा ने बताया कि वहां विश्व हिंदू परिषद की ओर से लगातार पत्थरों की नक्काशी जारी थी, भविष्य के राममंदिर की योजना पर काम चल रहा था और अदालत का फैसला आने से पहले 1 लाख क्यूबिक मीटर से ज्यादा पत्थरों की नक्काशी हो चुकी थी। अदालत के फैसले के बाद जब अयोध्या में मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तब बजट 400 करोड़ था। अब मंदिर और कॉरिडोर पर 2 हजार करोड़ रु. खर्च होंगे। मंदिर पूरी तरह तैयार होने में 1 साल और लगेगा। अयोध्या कॉरिडोर बनने में भी डेढ़ से 2 साल लगेंगे।