मिस्र के शर्म अल-शेख में सोमवार, 13 अक्टूबर को गाजा शांति शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित लगभग 20 देशों के नेता हिस्सा ले रहे हैं। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन भारत ने उनकी जगह विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह को विशेष दूत के रूप में भेजने का निर्णय लिया। कीर्ति वर्धन सिंह रविवार रात मिस्र पहुंच चुके हैं। उन्होंने एक्स पर जानकारी दी कि वे प्रधानमंत्री मोदी के विशेष प्रतिनिधि के तौर पर ऐतिहासिक शहर काहिरा पहुंचे हैं ताकि शर्म अल-शेख में गाजा शांति सम्मेलन में हिस्सा ले सकें। पीएम मोदी के निमंत्रण मिलने के बाद अटकलें थीं कि वे खुद सम्मेलन में शामिल होंगे और ट्रंप से मुलाकात भी हो सकती है।
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी इस सम्मेलन में शामिल हो सकते हैं। इसी संभावना को देखते हुए भारत ने एहतियात बरती और कीर्ति वर्धन सिंह को बतौर विशेष प्रतिनिधि भेजने का फैसला किया। सम्मेलन में ट्रंप और अल-सिसी के अलावा जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस समेत कई विश्व नेता भाग ले रहे हैं।
इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 20 सूत्रीय “गाजा पीस प्लान” पर औपचारिक हस्ताक्षर किए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य गाजा को आतंकवाद और कट्टरपंथ से मुक्त क्षेत्र बनाना है। प्रस्ताव के अनुसार, यदि इजरायल और हमास इस पर सहमत होते हैं, तो युद्ध तुरंत समाप्त हो जाएगा और इजरायली सेना पीछे हट जाएगी ताकि बंधक बनाए गए लोगों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित की जा सके। इसके बदले में इजरायल 250 आजीवन कारावास भुगत रहे कैदियों और 1700 गाजावासियों को रिहा करेगा। समझौते के बाद गाजा में पानी, बिजली, अस्पताल और सड़कों जैसी बुनियादी सुविधाओं की बहाली के लिए बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता भेजी जाएगी। गाजा का प्रशासन अस्थायी रूप से एक तकनीकी समिति संभालेगी, जिसमें अनुभवी फिलिस्तीनी और कुछ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल होंगे। इस समिति के कार्यों की निगरानी “बोर्ड ऑफ पीस” नामक अंतरराष्ट्रीय निकाय करेगा, जिसका नेतृत्व ट्रंप करेंगे। यह बोर्ड गाजा के पुनर्निर्माण और विकास की दिशा तय करेगा और तब तक काम करेगा जब तक फिलिस्तीनी प्राधिकरण गाजा का नियंत्रण सुरक्षित रूप से वापस नहीं ले लेता।
इधर, प्रधानमंत्री मोदी इस सप्ताह के अंत में दिल्ली में मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती से मुलाकात कर सकते हैं, जो भारत-मिस्र रणनीतिक वार्ता में हिस्सा लेने के लिए आ रहे हैं। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2023 में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति अल-सिसी के बीच हुए “सीसी-मोदी स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप डील” के बाद यह बैठक दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।


