क्या आप तनोट माता के मंदिर के बारे में जानते हैं? इस मंदिर की पहरेदारी के लिए कोई पंड़ित पुजारी नहीं बल्कि बीएसएफ के जवानों की एक पूरी टीम हर दम तैनात रहती है। जैसलमेर से करीब 120 किलोमीटर दूर इंडो पाक बॉर्डर पर बना यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए काफी प्रसिद्ध है।
कहा जाता है कि 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना की ओर से तनोट माता मंदिर के इलाके में करीब 3000 बम गिराए थे, लेकिन सभी बम बेअसर हो गए और मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ। वहीं दूसरी बार साल 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान एक और बम इस मंदिर के ठीक ऊपर फेंका गया था लेकिन ये कोशिश भी नाकाम रही।
इस मंदिर के चमत्कार के आगे उस वक्त के पाकिस्तानी सेना ब्रिगेडियर शाहनवाज खान भी नतमस्तक थे। 1965 के युद्ध के दौरान माता के चमत्कार देख शाहनवाज खान ने भारत सरकार से यहां दर्शन करने की अनुमति का अनुरोध किया था। करीब 2.5 सालों की मशक्कतों के बाद उन्हें अनुमति मिली। अनुमति मिलने के बाद ब्रिगेडियर खान ने न केवल माता के दर्शन किए बल्कि माता को चांदी का छत्र भी भेंट किया। यह छत्र आज भी इस मंदिर में मौजूद और इस बात का साक्षी है।
इस मंदिर परिसर में आज भी करीब 450 पाकिस्तानी बम लोगों के आस्था का केंद्र है जिसे देखने और मां की कृपा प्राप्त करने दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं।
इस मंदिर को रुमाल वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। माता तनोट के प्रति अटूट आस्था रखने वाले श्रद्धालु मंदिर में रुमाल बांधकर मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर भक्त माता का आभार व्यक्त करने वापस दर्शन के लिए आते है और रुमाल खोलते है। मंदिर के प्रति यह मान्यता भी कई सालों से चल रही है। चमत्कारिक माने जाने वाला यह मंदिर करीब 1200 साल पुराना है।