दिल्ली से गोवा जा रही इंडिगो की फ्लाइट कई घंटे देर हो गई। रविवार की सुबह 7.40 में उड़ान भरनी थी जो पहले तो कोहरे की वजह से देर हुई फिर पायलट बदलने की वजह से और देर होती रही। जब पायलट और हो रही देरी की एनाउंसमेंट करने के लिए कॉकपिट से बाहर आए तो एक गुस्साया नौजवान उनपर लपक पड़ा। इसका एक वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो में पायलट पर लपकने के बाद पीले रंग की हुडी पहने नौजवान ने कहा कि “अगर फ्लाइट नहीं उड़ा रहा तो गेट खोल दे”। पैसेंजर की हरकत पर एयर होस्टेस कहती हुई नजर आ रही है – “सर, ये गलत है। आप ऐसा नहीं कर सकते”। घटना के बाद फ्लाइट में मौजूद लोगों ने भी पैसेंजर की हरकत का विरोध किया। इसके बाद उसे विमान से बाहर कर सुरक्षाबलों को सौंप दिया गया।
इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर तैर रही हैँ। कुछ लोग बोल रहे हैं कि इस पैसेंजर को बदसलूकी के लिए नो-फ्लाई जोन में डाल
देना चाहिए और उसकी फोटो सार्वजनिक करनी चाहिए। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने X पर लिखा एयरलाइँस के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार पर मंत्री, मीडिया सब खामोश हैं। अत्यधिक देरी और खराब कस्टमर सर्विस की शिकायतों से सोशल मीडिया अटा पड़ा है लेकिन कोई सुध नहीं लेने वाला।
Airports and social media are buzzing with complaints from irate passengers who have been stuck inside planes, airports and even aerobridges for hours.
Inordinate delays, unresponsive customer care, absolute unaccountability by airlines is troubling flyers, who are helplessly…
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) January 15, 2024
वहीं वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने इस मामले पर कटाक्ष करते हुए कहा कि घंटो ट्रेन की देरी के बाद खामोश रहने वाले पैसेंजर्स से फ्लाइट में सफर करने वाले पैसेंजर्स को सहनशीलता सीखनी चाहिए।
यह बिल्कुल ग़लत व्यवहार है। गर्मी हो या सर्दी, लाखों रेल यात्री दस घंटे से लेकर पंद्रह घंटे की देरी हंसते खेलते झेलते हैं। कभी उफ़्फ़ नहीं करते। वीडियो बनाते हैं न ट्वीट करते हैं। चुपचाप अपने समय को नष्ट होते देखते हैं और मग्न रहते हैं। हवाई जहाज़ वालों को भी चार घंटे की देरी सहन… https://t.co/ZkFYLyzSAc
— ravish kumar (@ravishndtv) January 15, 2024
सवाल उठता है कि क्या समाज को सहनशीलता त्याग कर उग्र व्यवहार अपनाना चाहिए? निश्चित तौर पर एयरलाइँस की ओर से गलती की गई लेकिन क्या फ्लाइट देर होना उस नौजवान को ये परमिट देता है कि वो पायलट को पीटे? क्या रवीश कुमार अपने ट्वीट्स के जरिए ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को नहीं उकसा रहे कि तुम भी इसी नौजवान की तरह ट्रेन के ड्राइवर और गार्ड के साथ व्यवहार करो। फिर इस तौर तरीके और भीड़ के इँसाफ में क्या फर्क रह जाएगा?
दरअसल बात इस एक घटना की नहीं है और सिक्के का दूसरा पहलू ये भी है कि “ऐसे ही चलता है” वाला रवैये बदल नहीं रहा है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब किन्हीं भी कारणों से फ्लाइट्स ज्यादा देर होने लगती है तो पैसेंजर्स को होने वाली असुविधा के बदले में सिर्फ एक शब्द “Sorry का इस्तेमाल किया जाता है और फिर नतीजा वही ढाक के तीन पात निकलते हैं। अब इसी फ्लाइट को ले लीजिए पहले कोहरे की वजह से लेट हुई और इतनी लेट हुई कि फ्लाइट्स ड्यूटी टाइम लिमिटेशंस की वजह से पायलट बदलना पड़ा, और दूसरे पायलट को आने में देर होने की वजह से घंटों पैसेंजर्स प्लेन में बैठे रहे।
निश्चित तौर पर यात्री द्वारा किया गया व्यवहार किसी भी कीमत पर उचित नहीं ठहराया जा सकता लेकिन आम लोगों की एक ही तरह की समस्याओँ से रोज रू-बर-रू होना पड़े तो किसी न किसी दिन सब्र का बांध टूटता ही है। भले ही उस पैसेंजर पायलट को मारने के लिए लपका हो लेकिन उसकी बात एक हद तक ये ठीक थी कि अगर देर हो रही है तो पैसेंजर्स को नीचे उतार दें। लेकिन क्या कहानी सिर्फ इतनी है, क्या उस युवक के व्यवहार को समाज में सहनशीलता की कमी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, साथ ही जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि उस युवक ने ही तो अपने किसी दोस्त से इस वीडियो को शूट तो नहीं कराया । आगे की जांच में कई बातें स्पष्ट होंगी लेकिन इस घटना के बाद केंद्र सरकार का विरोध करने वालों ने जिस तरह से ट्वीट किए उसे भी युवाओँ में समाज में आक्रोश भड़काने की नीयत से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। सोचिएगा।
पैसेंजर की पहचान साहिल कटारिया के रूप में हुई है। इंडिगो ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है।