क्या आपको भी ऑफिस में काम करते हुए नींद आने लगती है या रातभर सोने के बाद भी आप दिनभर उबासियां लेते रहते हैं। अगर ऐसा है तो आप दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी आलस के शिकार हो चुके हैं और आलस आपकी सफलता के बीच का सबसे बड़ा रोड़ा है, जिसे अगर आपने आज नहीं त्यागा तो ये आने वाले भविष्य में आपके सामने कई मुश्किलें पैदा कर सकता है। लेकिन अब सवाल ये है कि आलस दूर करने की दवाई कहां मिलती है या आलस का शिकार होने पर आपको किस डॉक्टर के पास जाना चाहिए ?
अगर इन सवालों के जवाब आपके पास नहीं है तो आज हम आपको बताएंगे आलस्य यानी आलस दूर भगाने की 4 जापानी तरकीबों के बारे में… आपको बस हर दिन इन 4 तरकीबों को अपनी रोजमर्रा के जिंदगी में शामिल करना है, और कुछ ही दिनों में आप खुद-ब-खुद इनके नतीजे महसूस करने लगेंगे।
इनमें पहला है “इकिगाई”
इकिगाई एक जापानी शब्द है। जिसका मतलब है जीने का कारण.. इकि यानी जीना और गाई मतलब कारण.. जापानी लोग मानते हैं कि इस दुनिया में हर किसी के पास इकिगाई होती है। यानी उनके जीने की वजह। जहां कुछ लोग अपनी इकिगाई को जल्द ही तलाश लेते हैं तो वहीं कुछ लोग जीवनभर इसी तलाश में रहते हैं कि आखिर उनके जीने का मकसद क्या है। ऐसे में अगर आप अपनी इकिगाई खोज लेते हैं तो आपके पास हर सुबह उठने का एक उद्देश्य होगा, जो आपको आपके कंफर्ट जोन से बाहर निकालने में मदद करेगा। इसे आप जापानी फिलॉसफी भी कह सकते हैं।
लेकिन अब सवाल ये है कि आप अपनी इकिगाई की पहचान कैसे कर सकते हैं। इसके लिए आपको सबसे पहले एक पेपर पर 4 Overlapping Circles बनाने हैं। पहले circle में आपको वो दो चीज़ें लिखनी हैं जो आपको करना अच्छा लगता है, दूसरे circle में वो दो चीज़ें लिखो, जिसकी डिमांड असल जिंदगी में है। इसके बाद तीसरे Circle में आप वो दो चीज़ें लिखो जिसके लिए आपको पता है कि लोग आपको pay करेंगे। वहीं चौथे circle में आपको वो दो चीज़ें लिखनी हैं। जिनमें आपको लगता है कि आप अच्छे हो। फिर वो एक चीज आपको लगता है कि इन चारों circles में Fit बैठती है वो आपकी इकिगाई है।
इसके बाद दूसरी जापानी तरकीब का नाम है काइज़ेन..
जापानी लोग दुनियाभर में एक से बढ़कर एक आविष्कारों के लिए जाने जाते हैं। चाहें आज के वक्त में युवाओं के बीच मशहूर एनीमे और मांगा हों या फिर जूडो-कराटें। जापानियों द्वारा किए गए कई आविष्कारों को आज दुनिया के कई देशों में अपनाया जा रहा है। काइज़ेन भी ऐसा ही एक आविष्कार है। जिसे जेपनीस मैनेजमेंट फिलॉसफी कहते हैं। इसका मतलब होता है खुदको निरंतर सुधार पर केंद्रित रखना। जापान में इसे लोगों की Success Key भी कहा जाता है। जैसा कि काइज़ेन दो शब्दों से मिलकर बना है पहला काई, जिसका अर्थ है परिवर्तन का प्रतीक। और दूसरा ज़ेन, जिसका अर्थ होता है ज्ञान। काइज़ेन के सिद्धांतों का इस्तेमाल जापानी लोग अपने व्यक्तिगत विकास और आलस पर काबू पाने के लिए करते हैं। इस प्रैक्टिस का एक ही मैसेज है कि आपका एक भी दिन ऐसा नहीं जाना चाहिए जिसमें आपने कहीं कोई सुधार ना किया हो।
अब बात करते हैं कि आखिर कैसे काम करती है ये तरकीब। दरअसल, काइज़ेन हर दिन आपकी जिंदगी का केवल 1 मिनट मांगती है। हालांकि ये एक मिनट आपको हर दिन एक ही समय पर निकालना होगा। जिसमें आप कोई भी एक ऐसा काम करें, जिसके लिए आप खुदको प्रतिबद्ध कर सकें। उदाहरण के लिए अगर आप दिन का एक समय निर्धारित कर उसमें एक मिनट के लिए कोई किताब पढ़ते हैं, तो आपको हर दिन उसी समय पर एक मिनट का समय निकालकर किताब पढ़नी है।
फिर आप धीरे-धीरे इसे प्रैक्टिस में लाएंगे तो आपकी समय सीमा भी बढ़ती जाएगी। जिस काम को आप शुरूआत में केवल 1 मिनट के लिए कर रहे थे वो काम आप समय के साथ 1 घंटे के लिए करने लगेंगे। इस तरकीब के सहारे ना केवल आप धीरे-धीरे खुदसे आलस को दूर होता पाएंगे बल्कि कुछ ऐसे काम जो पहले आप आलस के कारण नहीं कर पाते थे वो भी करने लगेंगे। हालांकि इसे अपनाने के लिए पहले आपको अपना इकिगाई तलाशना बेहद जरूरी है।
काइज़ेन के बाद बारी आती है पोमोडोरो तरकीब की..
वैसे तो ये तरकीब इटली के देन हैं मगर जापान के लोगों ने इसे व्यापक रूप से अपने जीवन में शामिल किया है। ये एक तरह की टाइम मैनेजमेंट तकनीक है, जिसके अनुसार इंसान के Working Hours या फिर पढ़ाई करने के समय को छोटे-छोटे भागों में बांट दिया जाता है। इस तकनीक को 1980 के दशक में फ्रांसेस्को सिरिलो ने विकसित किया था। हालांकि उन्होंने इसे अपने पढ़ाई के दौरान फोकस करने के लिए विकसित किया था। लेकिन बाद में इस तकनीक को काम में फोकस करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा।
इस तकनीक के अनुसार अगर आप ऑफिस मे काम करते हैं तो बिना अपना ध्यान भटकाए आपको 25 मिनट अपना काम करना है और फिर 5 मिनट का ब्रेक लेना है। इसी तरह अगर पूरा दिन 30-30 मिनट के अंतराल में 5-5 मिनट का ब्रेक लेकर काम करेंगे तो ना केवल आप सही ढ़ंग से फोकस होकर काम कर सकेंगे बल्कि काम करते हुए आने वाली उबासियों और आलस को भी दूर भगा सकेंगे।
चौथी जापानी तरकीब हारा हाची बू..
हारा हाची बू , जो कि जापान का एक प्रचलित वेट लॉस डाइट फॉर्मुला है। इससे ना केवल आपका वजन कंट्रोल रहता है बल्कि आपकी उम्र भी लंबी रहती है। हारा हाची बू के अनुसार, जब आपका पेट 80 प्रतिशत तक भर जाए तभी आप खाना बंद कर दें। यानी कि कभी भी पेट भरकर खाना ना खाएं, हमेशा अपने पेट को 20 प्रतिशत खाली रहने दें। वहीं इसका दूसरा फायदा ये भी है कि जब आपका पेट भरा होता है तो आपको सुस्ती ज्यादा आती है। यानी कि आप खाना खाने के बाद अक्सर आलस करने लगते हैं ऐसे में अगर आप पेट को 20 प्रतिशत खाली रखेंगे, तो आप आलस से भी बच सकेंगे और एनर्जी के साथ बाकी काम कर सकेंगे।